सुनील गावस्कर ने बताया: पहला मैच जीतने के बाद भी क्यों बढ़ा भारतीय टीम का सिरदर्द

नई दिल्ली। वेस्टइंडीज की टीम सोच रही होगी कि आखिर इस भारतीय टीम को हराने के लिए क्या किया जाए। उन्होंने ऐसा स्कोर बनाया, जिसे अधिकतर टीमें बचा लेती हैं, लेकिन विंडीज की साधारण गेंदबाजी और गुवाहाटी की सपाट पिच पर भारत ने सिर्फ दो विकेट गंवाकर 42.1 ओवर में मैच जीत लिया। कहा जाता है कि जब रोहित शर्मा और विराट कोहली का बल्ला चलता है, तो दुनिया का कोई भी गेंदबाजी आक्रमण उन्हें नहीं रोक सकता।
वेस्टइंडीज को इस हार के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराना चाहिए, क्योंकि उनके कुछ बल्लेबाजों ने अहम पड़ाव पर गैरजरूरी शॉट खेले और इस वजह से वे 20-30 रन कम बना सके जबकि ये रन अंतर पैदा कर सकते थे।
अर्धशतक बनाने के बाद कीरोन पॉवेल ने अपना विकेट तोहफे में दे दिया। शाई होप और रोवमैन पॉवेल ने भी ऐसा ही किया। अगर उन्होंने यह देखा होता कि कितने ओवर बचे हैं, तो ऐसा जल्दबाजी वाला शॉट नहीं खेलते। उन्हें शर्मा और कोहली से सीखना चाहिए। खासतौर से भारतीय कप्तान ने पहला हवाई शॉट शतक पूरा करने के बाद लगाया। दोनों ने शानदार तरीके से अपनी पारी को आगे बढ़ाया और खूबसूरत तरीके से लक्ष्य को हासिल किया।
भारतीय कप्तान विराट कोहली अगले मैच में अगर 81 रन बना लेते हैं तो सचिन तेंदुलकर को पछाड़कर इस प्रारूप में सबसे तेज 10000 रन पूरे करने वाले बल्लेबाज बन जाएंगे। हालांकि, भारत की इकलौती चिंता खराब क्षेत्ररक्षण है। इस टीम ने मैदानी क्षेत्ररक्षण में ऊंचे मानक बनाए हैं, लेकिन गुवाहाटी में ऐसा नहीं दिखा। वाइजैग की पिच पर स्पिनर्स को मदद मिलेगी और गेंदबाजों को गुवाहाटी की तरह मार का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि उनके लिए सीखने का एक अच्छा अनुभव था। क्या भारत को चाइनामैन कुलदीप यादव को शामिल करना चाहिए? गुवाहाटी में शतक बनाने वाले हेटमायर को उन्होंने टेस्ट सीरीज में तीन बार आउट किया था। ऐसे में टीम प्रबंधन के लिए खिलाडिय़ों का चयन थोड़ा सिरदर्द वाला होगा। अच्छी बात यह है कि यह सिरदर्द इसलिए हल्का है क्योंकि यह परेशानी की बात नहीं है।

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