सीएए पर विरोध देशभर में पुलिस का पहरा

देश की आर्थिक स्थिति क्या है, रोजगार किसी को चाहिए या नहीं, महंगाई चाहे जितनी बढ़ रही हो, भाईचारा भले ही टूट रहा हो इससे अब किसी का कोई सरोकार नहीं रहा है। अब देश में सीएए, एनआरसी जरूरी है, तीन तलाक पर बिल जरूरी है, मंदिर-मस्जिद जरूरी है। सेहत और शिक्षा न सुधरे लेकिन बवाल जरूरी है। कुछ ऐसा ही माहौल देश में बन गया है। सीएए जरूरी बन गया तो विरोध भी, लिहाजा जनता और पुलिस व प्रशासन को काम मिल गया और साथ ही नेताओं का भी काम हो गया। देश की संपत्ति का नुकसान हो रहा है। अच्छा हो कि राष्ट्रपति के रास्ते पर चलकर विरोध हो और सरकार भी उन्हीं के रास्ते पर चलकर मामलों का निपटारा करे।

नई दिल्ली/लखनऊ नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के खिलाफ देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन जारी है और अब इसने हिंसक रूप भी ले लिया है. दिल्ली से लेकर मुंबई और लखनऊ से लेकर बेंगलुरु तक प्रदर्शनकारी इस कानून के खिलाफ सड़कों पर हैं। गुरुवार को इसी प्रदर्शन के दौरान लखनऊ में एक और मंगलौर में 2 की मौत हो गई। अब आज एक बार फिर देश के कई हिस्सों में सीएस के खिलाफ प्रदर्शन की उम्मीद है।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। इस केस में कई नेताओं के नाम भी शामिल हैं। वहीं 30 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है। समाजवादी पार्टी (एसपी) सांसद शफीकुर्रहमान और जिलाध्यक्ष फिरोज खान पर मुकदमा दर्ज किया गया है. उनके साथ ही 17 नामजद और 250 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

अधिसूचना जारी करने से पहले विशेषज्ञों से सलाह लेगी सरकार
नई दिल्ली। संसद के दोनों सदनों से नागरिकता (संशोधन) बिल को मंजूरी के बाद इस पर राष्ट्रपति के दस्तखत भी हो गए हैं। यानी बिल ने कानून का रूप भी ले लिया है फिर भी सरकार ने अभी तक इसको लेकर अधिसूचना जारी नहीं की है। सूत्रों के मुताबिक, अधिसूचना जारी करने से पहले सरकार विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा के बाद पूरी तरह संतुष्ट होना चाहती है कि यह कानून न्यायिक समीक्षा में भी खरा उतरे। गृह मंत्रालय अधिकारियों ने बताया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, इसलिए इस बारे में कोई भी फैसला विशेषज्ञों की सलाह के बाद ही लिया जाएगा।
सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत की बेंच ने बुधवार को नागरिकता (संशोधन) कानून को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं को 22 जनवरी को सुनवाई के लिए लिस्ट किया है। अधिकारियों में से एक ने बताया कि अगर विशेषज्ञों को लगेगा कि ऐक्ट को कानूनी आधारों पर चुनौती दी जा सकती है तो सरकार इसका नोटिफिकेशन जारी करने के लिए 22 जनवरी तक इंतजार कर सकती है।

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अधिकारियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने ष्ट्र्र (सिटिजनशिप अमेंडमेंट ऐक्ट यानी नागरिकता संशोधन कानून) पर रोक नहीं लगाया है इसलिए गृह मंत्रालय इसकी अधिसूचना जारी कर सकती है कि नागरिकता के लिए कौन आवेदन दे सकता है, किन अधिकारियों के यहां आवेदन दिया जाना है और इसके लिए समयसीमा क्या होगी।

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संशोधित कानून में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक प्रताडऩा का शिकार होने वाले उन हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों, पारसियों, जैनियों और बौद्ध समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता का प्रावधान है जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ चुके हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को संशोधित नागरिकता कानून को मंजूरी दी थी। हालांकि, गृह मंत्रालय ने अभी तक कानून को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी नहीं की है।

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