मॉस्को। पूर्वी रूस के तटीय शहर डिक्सन में इस समय ध्रुवीय भालुओं का आतंक फैला है। दरअसल, जलवायु परिवर्तन की वजह से आर्कटिक में बड़े स्तर पर बर्फ पिघल रही है। ऐसे में करीब 6 भालू बर्फीले क्षेत्र से शहरी इलाकों में घुस गए हैं। इन भूखे शिकारी भालुओं की वजह से शहर के करीब 500 लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं।
रूस के टेलीविजन चैनलों में फिलहाल इन भालुओं का आतंक चर्चा का मुद्दा बना है। हाल ही में सोशल मीडिया में कुछ वीडियो क्लिप वायरल हुई हैं, जिनमें लोगों को इस खूंखार जानवर का सामना करते देखा गया। अधिकारियों ने 600 किलो वजनी और 40 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ सकने वाले भालुओं से लोगों को बचने की सलाह दी है।
जानकारों के मुताबिक, ध्रुवीय भालुओं का खतरा तब तक रहेगा, जब तक फिर से आर्कटिक में बर्फबारी नहीं होती। यानी नवंबर के अंत तक शहर वालों को कोई राहत नहीं होगी। इसी हफ्ते वन अधिकारियों ने घरों और दुकानों में घुसने की कोशिश करते एक वयस्क भालू को कैद कर क्रास्नोयास्क शहर के चिडिय़ाघर भेजा।
रूस के प्राकृतिक संसाधन मंत्री एलेक्जेंडर कोरोब्किन के मुताबिक, आमतौर पर ध्रुवीय भालू जहां भी खाना देखते हैं, जमावड़ा लगा लेते हैं। असल में यह जानवर हमेशा ही भूखे रहते हैं। इंसानी खाना भी इन्हें काफी पसंद आता है। इसीलिए ये किसी घर के बाहर जुट जाते हैं और लंबे समय तक वहीं रहते हैं। यह अपने आसपास के इलाकों में भी किसी को आने-जाने नहीं देते।”
ध्रुवीय भालू आमतौर पर समुद्र की बर्फ में रहना पसंद करते हैं। हालांकि, लगातार बढ़ती इंसानी गतिविधियों, पिघलती बर्फ और शिकार की वजह से उनके रहने की जगह काफी कम पड़ रही है। इस साल भी शहर में आतंक मचाने वाले 6 भालू बर्फ की पिघलती एक चादर से दूसरे पर नहीं जा पाए और शहर में घुसने लगे।
ध्रुवीय भालुओं के बारे में जानकारी रखने वाली इल्या मोर्दविन्सटेव ने अंग्रेजी अखबार ‘द टेलीग्राफÓ को बताया कि उन्होंने सभी भालुओं के गले पर एक ट्रैकिंग डिवाइस लगा दिया है, ताकि बदलते तापमान के साथ उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
शहर में जल्द लगाए जा सकते हैं भालुओं के लिए बेबी बॉक्स
मोर्दविन्सटेव के मुताबिक, उनकी टीम शहर के कई हिस्सों में बेबी बॉक्स लगा सकते हैं, जिसमें दूध और मांस रखा जाएगा, ताकि लोगों से भालुओं का आमना-सामना ना हो। इससे भालुओं को इंसानी खाने की आदत नहीं पड़ेगी और उन्हें पकडऩे के लिए बेहोशी के इंजेक्शन का इस्तेमाल भी नहीं करना पड़ेगा।
रूस बीते काफी समय से आर्कटिक में इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में जुटा है। हाल ही में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन के साथ आर्कटिक के नए व्यापार मार्ग पर निर्माण कार्य शुरू कराए। इसके अलावा निजी गैस उत्पादन कंपनी नोवाटेक ने भी पिछले हफ्ते आर्कटिक में गैस फील्ड मिलने की बात कही थी। इसके चलते पूरे महासागर के पर्यावरण को गहरा नुकसान पहुंचने की आशंका है।