यूपी में बनेंगे नए समीकरण!

लखनऊ। भीम आर्मी के चीफ चन्द्रशेखर के जरिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बसपा को परेशानी में डाल चुकी हैं। महागठबंधन में बसपा सुप्रीमो के बदले तेवर इस बात का सबूत हैं। सूत्रों की मानें तो जल्द ही प्रियंका गांधी महागठबंधन के दूसरे दल सपा को भी मुश्किल में डाल सकती हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी ने शिवपाल यादव से मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद यूपी में नए सियासी समीकरण बनते नजर आ रहे है। लोकसभा चुनाव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल यादव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ सकते हैं। चर्चा है कि इसके लिए दोनों ओर से सहमति बन चुकी है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस और प्रसपा के इस गठबंधन पर प्रियंका गांधी के साथ हुई शिवपाल यादव की मुलाकात के बाद मुहर लग चुकी है।
सीट से लेकर दूसरे मामलों पर भी इस संबंध में भी गुरुवार की सुबह दोनों नेताओं में बातचीत हो चुकी है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अपने यूपी दौरे के कार्यक्रम में प्रियंका गांधी इसकी घोषणा भी कर सकती हैं। जानकारों का कहना है कि पहले ये घोषणा रविवार को लखनऊ में होनी थी।

.

श्चशद्यद्बह्लद्बष्ड्डद्य द्वद्गद्गह्लद्बठ्ठद्द, श्चह्म्द्ब4ड्डठ्ठद्मड्ड द्दड्डठ्ठस्रद्धद्ब, ह्यद्धद्ब1श्चड्डद्य 4ड्डस्रड्ड1, ्रद्मद्धद्बद्यद्गह्यद्ध 4ड्डस्रड्ड1, ह्यड्डद्वड्डद्भ2ड्डस्रद्ब श्चड्डह्म्ह्ल4, द्यशद्म ह्यड्डड्ढद्धड्ड द्गद्यद्गष्ह्लद्बशठ्ठ 2019, द्वड्ड4ड्ड2ड्डह्लद्ब, क्चस्क्क, स्रद्गद्यद्धद्ब, क्क, ड्ढद्धद्बद्व ड्डह्म्द्व4, ष्द्धड्डठ्ठस्रह्म्ह्यद्धद्गद्मड्डह्म्, राजनीतिक बैठक, प्रियंका गान्धी, शिवपाल यादव, अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी, लोक सभा चुनाव 2019, मायावती, बसपा, दिल्ली, यूपी, भीम सेना, चंदशेखर, शिवपाल यादव (द्घद्बद्यद्ग श्चद्धशह्लश)

लेकिन उसके बाद अचानक से प्रियंका गांधी के कार्यक्रम में कुछ मामूली फेरबदल किया गया है. इसके बाद संभावना जताई जा रही है कि सोमवार को इसकी घोषणा हो सकती है. वहीं इस बारे में राजनीति के जानकार और डॉ. बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अरशद का कहना है, “कांग्रेस का शिवपाल यादव के साथ जाना उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है. अभी तक सपा कांग्रेस के साथ नरमी दिखाती रही है. लेकिन अगर शिवपाल से गठबंधन हुआ तो सपा और कांग्रेस के रिश्ते सामान्य नहीं रह जाएंगे.”

“जहां सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी चुनाव लड़ रहे हैं वहां सपा अपना मतलब महागठबंधन का उम्मीदवार नहीं उतार रही है. वहीं हाल ही में कांग्रेस के खिलाफ गरम तेवर दिखाने वालीं मायावती की बात भी अखिलेश यादव ने खारिज कर दी. तो ऐसे में कांग्रेस सपा से नाराजगी का जोखिम नहीं ले सकती है.”

इस बारे में प्रसपा के मीडिया प्रभारी रुपेश पाठक का कहना है, देश में साम्प्रदायिक शक्तियों व भाजपा के खिलाफ संघर्ष में कांग्रेस एक महत्वपूर्ण धुरी व सेक्युलर फोर्स है, इसलिए कांग्रेस से सहज सैद्धांतिक सहमति के आधार पर अगर कोई भी समझौता होना है तो उसके बारे में प्रसपा व कांग्रेस का शीर्ष व राष्ट्रीय नेतृत्व फैसला लेगा. ध्यान रहे पूर्व में हमारे नेता शिवपाल यादव ने विभन्न मंचो पर भाजपा के विरुद्ध एक कारगर महागठबंधन की संकल्पना की थी.

यहां से शेयर करें