नई दिल्ली। पीएम मोदी ने लोगों को बुलेट ट्रेन का जो सपना दिखाया था उस प्रोजेक्ट को बड़ा झटका मिला है। बुलेट ट्रेन के लिए फंडिंग करने वाली जापानी कंपनी जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जीका) ने बुलेट ट्रेन नेटवर्क के लिए फंडिग को रोक दिया है। जापानी कंपनी ने मोदी सरकार से कहा है कि इस प्रोजेक्ट पर आगे बढऩे से पहले उसे देश में किसानों की समस्या पर पहले गौर करने की जरूरत है।
एक लाख करोड़ रुपये की लागत वाली बुलेट ट्रेन योजना के निर्माण में गुजरात और महाराष्ट्र के किसानों से जमीन अधिग्रहण का मामला विवादों में पड़ रहा है। इस विवाद को देखते हुए जहां केन्द्र सरकार ने एक स्पेशल कमिटी का गठन किया है वहीं जापानी कंपनी ने फंड रोकते हुए कहा है कि मोदी सरकार को पहले किसानों की समस्या से निपटने की जरूरत है। गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
जीका जापान सरकार की एजेंसी है और वह जापान सरकार के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक-आर्थिक नीतियों का निर्धारण करती है। वहीं नैशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचआरसीएल) को भारत में बुलेट ट्रेल प्रोजेक्ट का जिम्मा मिला है। फिलहाल भारत सरकार की इस एजेंसी को बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए गुजरात और महाराष्ट्र में किसानों से जमीन अधिग्रहण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है।
दोनों राज्य गुजरात और महाराष्ट्र में किसान अपनी जमीन के लिए अधिक मुआवजे की मांग कर रहे हैं। मुआवजे के किसानों ने शर्त रखी है कि सरकार इन इलाकों में सामान्य सुविधाओं के साथ-साथ साझा तालाब, स्कूल, सोलर लाइट समेत गांव स्तर पर हॉस्पिटल और डॉक्टर की व्यवस्था भी सुनिश्चित करे।