अलीगढ़, कासगंज, मेरठ और सहारनपुर में इंटरनेट सेवाएं बंद
नोएडा। देश के अलग-अलग हिस्सों में पुलिस और छात्र आमने-सामने हैं। यह दृष्य हांगकांग की याद दिला रहा है। जिस तरह से हांगकांग में सरकार प्रदर्शनकारियों की आवाज दबाने में पुलिस का सहारा ले रही है। ठीक उसी तरह दिल्ली, अलीगढ़, मेरठ, लखनऊ, सहारनपुर आदि में देखा जा रहा है। संसद में विपक्ष नागरिक संशोधन बिल का विरोध करने में नाकाम रहा। अब नेताओं को अलग कर छात्रों ने विरोध के लिए मोर्चा संभाल लिया है। जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से विरोध की चिंगारी उठी और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी के साथ-साथ लखनऊ में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इसे दबाने के लिए पुलिस पूरा बल प्रयोग कर रही है। सवाल यह है कि जिस वक्त छात्र प्रदर्शन कर रहे थे उस दौरान उन छात्रों पर किसकी शह पर लाठियां भांजी गईं। छात्रों पर केस दर्ज करने के लिए पुलिस ने खुद ही डीटीसी बसों को आग के हवाले कर दिया। एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कई पुलिसकर्मी बसों में तेल डालते हुए नजर आ रहे हैं। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि छात्रों पर आरोप लगाकर पुलिस उन्हें फंसाना चाहती है।
वहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने के लिए कैंपस से बाहर आ रहे छात्रों पर भी पुलिस ने बर्बरता दिखाई। हालांकि अलीगढ़ के डीआईजी डॉ. प्रतीन्दर सिंह इस हिंसा के दौरान घायल हो गए लेकिन पुलिस की लाठियों से दर्जनों छात्र भी घायल हुए हैं। उधर आज सुबह लखनऊ में छात्रों ने एक्ट का विरोध शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस और प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने जिलों में प्रदर्शन न होने दें। इसलिए धारा 144 लागू कर दी गई है। यही कारण है कि पुलिस छात्रों से ज्यादा हिंसक हो गई है।
गौरतलब है कि जो काम नेताओं को करना चाहिए थे वे अब छात्र कर रहे हैं। नेता केवल टीवी पर आरोप-प्रत्यारोप में लगे हैं।
विपक्ष के लिए सुनहरा अवसर…
जिस तरह देशभर में नागरिकता संशोधन बिल का विरोध किया जा रहा है। ऐसा लग रहा कि भारतीय जनता पार्टी की आमजन को लेकर जितनी भी योजनाएं थी अब धीरे-धीरे जन जनविरोधी बनती जा रही है। जहां सिर्फ कुछ का साथ और कुछ का विकास हो रहा है जबकि होना तो था सबका साथ सबका विकास। ऐसी मानसिकता लेकर कैसे कोई देश सेकुलर बन पाएगा। कैसे वह देश तरक्की कर पाएगा? पिछले कुछ समय से देश में ऐसा माहौल हो गया है कि रोजाना कहीं न कहीं देश के युवा रोजगार व अन्य मांगो को लेकर सड़क पर ही नजर आ रहें हैं। ऐसा लग रहा कि सरकार ने देश के युवाओं को ऐसे ही रोजगार देने के वादे किए थे। वहीं कैब को लेकर एक दूसरे को घेर रहे राजनीतिक दलों को अपनी राजनीति छोड़कर देशहित में एकत्र होकर सामने आना चाहिए। देश में विपक्षियों के लिए एक सुनहरा अवसर है जनता के बीच अपनी साख बनाने का। जब सरकार विपक्ष में थी तो छोटे-छोटे मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतर आती थी। ऐसे ही अब विपक्षी दलों को भी सड़कों पर उतर कर बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था, महंगाई जैसे बड़े-बड़े मुद्दों पर सड़कों पर उतर कर सरकार का ध्यान आकर्षित कराए और जनता के बीच अपनी मजबूत स्थिति बनाए।
ं