जब जब लक्ष्मण रेखा लांघीं जाएगी तब तक होगा सीताहरण- दशानन रावण 

 

पंचकूला, 27 सितंबर

आदर्श रामलीला एवं ड्रामाटिक क्लब पंचकूला सेक्टर 5 द्वारा शालीमार बाग दशहरा ग्राउंड में आयोजित हो रही रामलीला मंचन में आज सूर्पनखा नासिक भंग, स्वर्ण मृग मंचन, रावण मारीच संवाद, सीता लक्ष्मण संवाद, सीता हरण‌ सहित रावण जटायु युद्ध का मंचन हुआ जिसे देखने के लिए पंचकूला एवं ट्राई सिटी के हजारों लोग एकत्रित हुए। आज की लीला की शुरुआत के सूर्पनखा कांड के साथ शुरू हुई जिसमें सूर्पनखा के नाक को लक्ष्मण जी ने काटा और वह अपने भाई रावण के दरबार में लंका पहुंची जहां उसने अपने अपमान के बारे में लंकेश को जानकारी दी।


रावण ने अपनी बहन के हुए इस अपमान का बदला लेने की प्रतिज्ञा की और सीता हरण की साजिश रची इस मंचन के बाद रावण मैरिज संवाद हुआ जिसमें मारीच के मना करने के बावजूद रावण सीता हरण के लिए उसे स्वर्ण मृग बने को बाध्य किया। जिस पर मारीच ने कहा कि दोनों तरफ मौत ही नजर आती है लेकिन नारायण के हाथों मरने से बेहतर कुछ नहीं है और वह रावण के साथ जाने को तैयार हो जाता है।

स्वर्ण मृग के रूप में जब मारी जे भगवान श्री राम के कुटिया के पास विचरण करता है तो सीता माता उसे पड़कर लाने के लिए भगवान से आग्रह करती हैं जिस पर भगवान उन्हें समझाते हैं कि वनवासियों के लिए स्वर्ण मृग की क्या जरूरत परंतु माता सीता की जीत के आगे उन्हें उसे स्वर्ण मृग को पकड़ने जाना पड़ता है और भाई लक्ष्मण को वह निर्देश देकर जाते हैं कि वह मृग को पकड़ने जा रहे हैं इस दौरान वह माता-पिता की रक्षा करेंगे।

परंतु रावण द्वारा रचित साजिश के कारण मारीच को जब तीर लगता है तो वह भगवान राम की आवाज में लक्ष्मण जी को मदद के लिए पुकारता है, जिसके बाद माता सीता और लक्ष्मण का संवाद होता है एवं जिस तरह माता सीता लक्ष्मण पर आरोप लगाती है कि उनके मन में जरूर कोई पाप है जिसके कारण वह अपने बड़े भाई भगवान श्रीराम की रक्षा के लिए नहीं जा रहे हैं। इसके उपरांत लक्ष्मण जी ने कुटिया के बाहर एक लक्ष्मण रेखा खींचते हुए माता सीता से यह आग्रह करते हैं कि इस रेखा को आप पर नहीं करेंगी जब तक हम वापस नहीं आ जाते और उसके बाद वह भगवान राम की खोज में निकल जाते हैं।

ऐसे अवसर को देखकर जब कुटिया में राम और लक्ष्मण नहीं होते हैं दशानन रावण साधु के वेश में वहां पहुंचता है और माता सीता से भिक्षा मांगता है। जब माता सीता साधु रूपी रावण के लिए भिक्षा लाने कुटिया में जाती हैं उसे दौरान रावण कुटिया में घुसने का प्रयास करता है परंतु लक्ष्मण रेखा खींची होने के कारण जब वह उसे रेखा को पार करने की कोशिश करता है तो वहां आग लग जाती है जिसका मंचन रामलीला मंच पर बहुत ही भव्य तरीके से किया गया एवं वाहन आज प्रज्वलित कर इस दृश्य को जीवंत रूप दिया गया।

इसके पश्चात रावण जब माता सीता भिक्षा लेकर आती है तो वह कुटिया के पास लक्ष्मण रेखा के अंदर से भिक्षा लेने से मना कर देता है और कहता है कि वह बंधी हुई भिक्षा नहीं लगा और जिस तरह उसके पति और देवर वन में गए हैं वह उन्हें श्राप दे देगा की रक्षा उन्हें मार डाले इसके बाद माता सीता उसे लक्ष्मण रेखा को पार कर बाहर आ जाती हैं और दशानन को भिक्षा देती हैं जिसके बाद दशानन रावण अपने असली रेस में प्रकट होकर कहता है कि मैं राक्षस राज लंका पति रावण हूं और तुम्हारा हरण करने के लिए मैं यहां आया हूं दशानंद रावण ने माता सीता से यह भी कहा कि जब-जब कोई लक्ष्मण रेखा को लांघेगा तो ऐसे ही सीता का हरण हर युग में होगा इसलिए सभी को मर्यादा की लक्ष्मण रेखा के अंदर रहना चाहिए उसे पर नहीं करना चाहिए।

इस लीला मंचन के बाद जब रावण माता सीता का हरण कर ले जाने लगता है तो महात्मा जटायू सीता को रावण के साथ रोते हुए देखते हैं जिस पर वह रावण से युद्ध करने लगते हैं एवं माता सीता की रक्षा करने का भरपूर प्रयास करते हैं जिसके बाद दशानन रावण धोखे से जटायु का वध कर देते हैं एवं इसी के साथ आज की लीला का समापन हो जाता है।

आज के रामलीला मंचन को लेकर आदर्श रामलीला के वरिष्ठ उप प्रधान प्रदीप कांसल ने कहा कि आज की लीला हमें या शिक्षा देती है कि हमें हमेशा लक्ष्मण रेखा की मर्यादा के अंदर रहना चाहिए नहीं तो हर युग में सीता हरण जैसे कांड होते रहेंगे इस अवसर पर संस्था के प्रधान रमेश चढ़ा महासचिव अमित गोयल वरिष्ठ सचिव सुभाष को अपने जा रामलीला मंचन के डायरेक्टर पवन शर्मा एवं मीडिया प्रभारी रवीश गौतम के साथ आदर्श रामलीला के सहयोगी ओम प्रकाश राय उपस्थित रहे।

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