कबीर धूल से उठे थे, लेकिन माथे का चंदन बन गए: मोदी
संतकबीर नगर। कबीरदास की 500वीं जयंती पर नरेंद्र मोदी गुरुवार को संत कबीरनगर पहुंचे। यहां एक रैली में उन्होंने कहा कि संत कबीरदास धूल से उठे थे, लेकिन माथे का चंदन बन गए। वह सिर से पैर तक आदत में अक्खड़, दिल के साफ, दिमाग के दुरुस्त, दिल से कोमल, बाहर से कठोर थे। वे जन्म से नहीं कर्म से वंदनीय हो गए। वे व्यक्ति से अभिव्यक्ति हो गए। वे शब्द से सत्य ब्रह्म हो गए। वो विचार बनकर आए और व्यवहार बनकर अमर हो गए।इससे पहले मोदी ने कबीरदास की मजार पर चादर चढ़ाई। इसके अलावा उन्होंने संत कबीर अकादमी की आधारशिला भी रखी। 24 करोड़ रुपए से बनने वाली इस अकादमी में पार्क और पुस्तकालय के अलावा कबीर पर शोध भी होगा।
नरेंद्र मोदी ने कहा- महात्मा फुले आए, अंबेडकर आए, गांधी आए सभी ने अपने-अपने तरीके से समाज को रास्ता दिखाया। बाबा साहिब ने संविधान दिया। लोगों को समानता का अधिकार दिया। आज ऐसी धारा खड़ी करने की कोशिश की जा रही है, जो समाज को तोडऩे का काम कर रही हैं। कुछ राजनीतिक दलों को अशांति चाहिए। उन्हें लगता है जितना असंतोष का वातावरण बनाएंगे, उन्हें उतना राजनीतिक लाभ होगा। लेकिन सच है कि ऐसे लोग जमीन से कट चुके हैं। वे जानते ही नहीं कि संतों को मानने वाले भारतीय समाज का मानस क्या है। संत कबीर दास जी कहते थे कि पोथी पढि़ पढि़ जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
कुछ लोग बंगलों में रुचि रखते हैं
नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने आवास योजना के तहत गरीबों को घर देना शुरू किया है। हमने पूछा पहले की यूपी सरकार गरीबों के लिए बनाए जाने वाले घरों की कम से कम संख्या तो बताएं। लेकिन उन्हें अपने बंगलों में रुचि थी। वो हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे। उन्होंने गरीबों के लिए कुछ नहीं किया। वे सिर्फ सियासत करते रहे।
यूपी को सतर्क रहना होगा
नरेंद्र मोदी ने कहा कि अभी दो दिन पहले ही देश में आपातकाल के 42 साल पूरे हुए हैं। सत्ता का लालच ऐसा है कि आपातकाल लगाने वाले और आपातकाल का विरोध करने वाले कंधे से कंधा मिलाकर कुर्सी झपटने की फिराक में घूम रहे हैं। ये देश नहीं, समाज नहीं सिर्फ अपने और अपने परिवार के हितों के लिए चिंतित हैं।
गरीब, वंचित, शोषितों को धोखा देकर अपने परिजनों के लिए करोड़ों के बंगले बनाने वालों से उत्तर प्रदेश को सतर्क रहने की जरूरत है। आपने तीन तलाक पर भी इनका रवैया देखा है। आज देश में मुस्लिम बहने धमकियों की परवाह किए बिना इससे मुक्ति की मांग कर रही हैं। लेकिन सत्ता के लिए वेाट बैंक का खेल खेलने वाले लोग इसमें रोड़े अटका रहे हैं। संसद में इसे पास नहीं होने दे रहे।”
इस शहर को ‘नरक के प्रवेश द्वार’ के रूप में भी जाना जाता है। ऐसी धारणा है कि मगहर में जिसकी मृत्यु होती है, वह स्वर्ग नहीं जाता। वहीं, काशी में जो शरीर त्यागता है, वो स्वर्ग जाता है। संत कबीरदास इस अंधविश्वास को तोडऩे के लिए मगहर गए थे और वहीं समाधि ली थी।