आकाश मार्ग से लंका दहन
नोएडा। सेक्टर-62 में श्रीराम मित्र मण्डल रामलीला समिति द्वारा आयोजित रामलीला मंचन के आठवें दिन मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक सुधा सिंह, सीओ द्वितीय राजीव कुमार सिंह, के के अग्रवाल निगम पार्षद दिल्ली नगर निगम, ओएसडी नोएडा प्राधिकरण एन के सिंह, भुवनेश कुमार सिंघल, भाजपा के पूर्व विधानसभा प्रत्याक्षी गोपाल झा, द्वारा दिप प्रज्वलित कर लीला का शुभारंभ किया गया। अध्यक्ष धर्मपाल गोयल एवं महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा द्वारा अंगवस्त्र ओढ़ाकर एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया । बाली वध के उपरांत सुग्रीव का राजतिलक होता हैं। कुछ समय व्यतीत होने के बाद सीता की खोज के लिए सुग्रीव कोई प्रयास नहीं करते हैं। इससे श्रीराम व लक्ष्मण सुग्रीव पर क्रोधित होते हैं। सीता की खोज के लिए अंगद, नील, जाम्वन्त, हनुमान को दक्षिण दिशा में भेजा जाता है। खोजते खोजते उनकी भेंट सम्पाती से होती है जो कि जटायु का भाई है। उसने बताया कि सीता लंका में है और जो सौ योजन समुंद्र को लांघ सकता हो वहीं वहां जा सकता है। समुंद्र तट पर जाम्वान ने हनुमान जी को उनका बल याद दिलाया।
श्रीराम लखन धार्मिक लीला कमेटी द्वारा सेक्टर-46 में आयोजित रामलीला मंचन के आठवें दिन दीप प्रज्ज्वलन के साथ लीला का शुभारंभ हुआ। बाली वध के पश्चात सुग्रीव के नेतृत्व में वानर सेना का गठन होता है। सीता की खोज के लिए हनुमान जी को लंका की ओर जाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। लेकिन समुद्र को कैसे पार किया जाए इस पर सभी मंथन करते हैं, टैब जामवंत हनुमान जी को उनकी शक्ति याद दिलाते हैं। कहहिं रीछपति सुनु हनुमाना, का चुपि साधि रहेहु बलवाना। हनुमान जी को उनकी शक्ति का स्मरण हो जाता है और वह समुद्र को लांघ जाते हैं। लंका पहुंचने पर विभीषण से भेंट होती है । विभीषण मां सीता का पता हनुमान जी को बताते हैं। अशोक वाटिका पहुंचकर भगवान राम द्वारा दी गयी मुद्रिका को सीता को देते हैं। भूख लगने पर सीता से आज्ञा लेकर बागों को तहस नहस कर देते हैं और अक्षय कुमार सहित तमाम राक्षसों का वध कर देते हैं। रावण क्रोधित होकर मेघनाद को भेजता है जो नागपास में बांधकर हनुमान जी को ले जाता है। रावण हनुमान की पूंछ में आग लगाने का आदेश देता है। आग लगने के बाद हनुमान जी पूरी लंका को जला देते है। सीता जी से आज्ञा लेकर हनुमान वापस पहुचते हैं। रावण द्वारा तिरष्कृत होने पर विभीषण भी राम की शरण में पहुंच जाता है। महर्षि कम्बन द्वारा रचित ईरामावतार पर सतुबन्धु रामेश्वरम की स्थापना का मंचन किया गया। भगवान राम समुद्र के किनारे शिव लिंग की स्थापना करना चाहते हैं। स्थापना के लिए आचार्य के लिए रावण को बुलाने के लिए जामवंत जी को भेजते हैं। रावण , सीता को ले जाकर विधिवत रामेश्वरम की स्थापना करते हैं। इसी के साथ आठवें दिन की लीला का विराम होता है।
श्रीराम लखन धार्मिक लीला कमेटी के महासचिव एवं मीडिया प्रभारी राघवेंद्र दुबे ने बताया कि पुतला बनाने वालों द्वारा लंका बनाई गयी जिसे लंका दहन के समय जलाया गया जिससे जमकर आतिशबाजी हुई। राघवेंद्र दुबे ने बताया कि 18 अक्टूबर को लक्ष्मण मेघनाद युद्ध, लक्ष्मण मूर्छा, हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाना, मेघनाद बध आदि प्रसंगों का मंचन किया जाएगा।
इस अवसर पर चेयरमैन बीपी अग्रवाल,अध्यक्ष विपिन अग्रवाल, संजय गोयल, मुख्य संरक्षक आलोक गुप्ता ,रामवीर यादव, पूनम सिंह, अशोक गोयल,विकाश बंसल, बलराज गोयल, विपिन मल्हन ,अनूप खन्ना,रवि मिश्रा, अर्जुन प्रजापति,राजेश अवाना, चंदन यादव, मनोज अग्रवाल, मनोज गोयल, बाबूलाल बंसल, रवि राघव, भीम सिंह, सुशील पाल सहित आयोजन समिति के तमाम पदाधिकारी व शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे।