अभिजीत की हत्या में मां मीरा यादव के पल-पल बदलते बयान से गहरा गया शक
लखनऊ। विधान परिषद के सभापति रमेश यादव कर दूसरी पत्नी मीरा यादव के पल-पल बदलते बयान ने उसको अपने बेटे की हत्या के मामले में शिकंजे के पीछे ला दिया। पुत्र की हत्या के आरोप में पुलिस ने अभिजीत की मां मीरा यादव को गिरफ्तार तो कर लिया है लेकिन शुरू में गुनाह कबूलने वाली मीरा यादव अब अपने बयान से पलट गई।
लखनऊ के अभिजीत यादव मर्डर केस में मां मीरा यादव ने पुलिस के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। मीरा लगातार अपने बयान बदल रही हैं। पहले पुलिस ने दावा किया कि मीरा यादव ने हत्या स्वीकार कर ली है। इसके बाद मीरा यादव ने अपने पति और विधान परिषद के सभापति रमेश यादव पर बेटे की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा दिया। अब एक बार फिर उन्होंने नया बयान देते हुए आत्महत्या की थ्योरी पेश की है। मीरा यादव के अनुसार अभिजीत यादव ने खुद ही फांसी लगाकर आत्महत्या की है और उन्हें इस केस में गलत फंसाया जा रहा है। मीरा के अनुसार उन्होंने हत्या नही की है। पुलिस उन्हें फंसा रही है।
मीरा यादव का कहना है कि उसका बेटा अपने आप मरा, न कि उसने हत्या की है। इससे पहले अभिजीत यादव उर्फ विवेक की मां मीरा ने पुलिस हिरासत में कबूला कि उसने ही अपने बेटे की हत्या गला दबाकर की। मीरा ने बताया कि अभिजीत जब नशे में था, वह उनसे बदतमीजी कर रहा था और उन्हें मारने की भी कोशिश की। मीरा यादव ने बताया कि अपना बचाव करने के लिए उन्होंने अभिजीत को मारा, इसके बाद अपनी चुन्नीÓ से उसका गला ही दबा दिया। मीरा यादव ने पुलिस को बताया कि अभिजीत को मारने के बाद उसने अपनी चुन्नी को जला दिया। मीरा यादव ने हिरासत में लिए जाते वक्त मीडिया से कहा कि उसे हत्या मामले में फंसाया जा रहा है, जबकि उसे अभिजीत की मौत की कोई जानकारी नहीं है।
मीरा यादव अभिजीत की मौत के बाद से ही लगातार बयान बदल रही है, उसने पहले कहा था कि अभिजीत की मौत सामान्य है, फिर मीरा यादव ने आरोप लगाया कि उसके पति ने कत्ल किया और फिर पुलिस के सामने कबूल किया की अपनी चुन्नी से उसने खुद अपने बेटे का गला घोंटा। अब एक बार फिर वो अपने बयान से पलट गई और उसने साफ कहा है कि उसके बेटे ने फांसी लगाकर खुदकुशी की है।
बेटे के कत्ल की आरोपी मां मीरा को पुलिस मीडिया से बचाते, धक्का देते, दौड़ाते जेल ले गई। मां मीरा मीडिया को बताती रही कि 22 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक से इसलिए मर गया क्योंकि उसकी कुंडली में ही जल्दी मौत लिखी थी। मीरा यादव ने कहा कि इसको बहुत पहले ही पंडित ने बताया भी था कि इसकी अकाल मृत्यु हो सकती है। मीरा ने कहा कि यहां जो नहीं है कैंटीन में, जहां धोबी रहते हैं, एक पांडे है कैंटीन में उन्होंने ही कहा कि इसकी अल्पआयु है।
इस मामले के बारे में अभिजीत के बड़े भाई अभिषेक ने ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। अभिषेक ने ही अपनी मां के खिलाफ 302 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया। जब तक हत्या की बात सामने नहीं आई थी, तब तक परिवार अभिजीत की मौत को प्राकृतिक मृत्यु ही बता रहा था।
परिवार के बयान के मुताबिक, रविवार सुबह अभिजीत अपने बिस्तर पर मृत अवस्था में पड़ा मिला था।
रमेश यादव उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सभापति हैं। उनकी दो पत्नी रही हैं। पहली पत्नी से तीन बेटी और एक बेटा है। पहली पत्नी का बेटा बेटा आशीष यादव विधायक रह चुका है और उनका राजनैतिक वारिस है। यह पूरा परिवार एटा में है। रमेश यादव बतौर सभापति बड़े सरकारी मकान में लखनऊ में रहते हैं। जहां वो अकेले रहते हैं। मीरा यादव सभापति रमेश यादव की दूसरी पत्नी हैं। दूसरी पत्नी से दो बेटे हैं अभिषेक और अभिजीत। दोनों दारुल सफा के छोटे सरकारी आवास में रहते थे। मीरा यादव को पहले परिवार जैसी सामाजिक मान्यता हासिल नहीं है।
इसी को लेकर अक्सर मां और अभिजीत में तनाव में था। कहा जा रहा है कि रमेश यादव की दूसरी पत्नी से बातचीत नहीं थी।
मूल रूप से अयोध्या निवासी मीरा यादव ने बताया कि 1984 में उसकी मुलाकात विधान परिषद सभापति रमेश यादव से लखनऊ में हुई थी। तब रमेश यादव एमएलसी थे। मुलाकात के दौरान दोनों करीब आ गए थे, जिसके बाद रमेश ने शादी का प्रस्ताव रखा था। मीरा यादव के मुताबिक 1984 में उनके पिता की लखनऊ में पोस्टिंग थी। वह पंजाब नेशनल बैंक में मैनेजर थे। मीरा ने एमए और एलएलबी की पढ़ाई की है।
मीरा यादव ने बताया कि मुलाकात के बाद रमेश ने उन्हें दारुलशफा विधायक आवास में रखा था, जिसके दो वर्ष बाद 1986 में उनसे शादी की थी। मीरा ने बताया कि शादी के बाद रमेश के घर पर उनका आना-जाना हो गया।
इसके बाद उनके दो बच्चे अभिजीत व अभिषेक हुए। मीरा के मुताबिक वह पर्यटन विभाग में बाबू के पद पर कार्यरत थी। वर्ष 2012 में रमेश ने वह नौकरी भी छुड़वा दी थी। आरोप है कि पति ने उनको घर का खर्च देना बंद कर दिया था।
मीरा ने बताया कि घर खर्च चलाने में उसे दिक्कतें हो रही थीं। उसने बीते कुछ माह पूर्व अपना एक हार नौ लाख रुपये में बेचा था। उन रुपयों से बेटे को नरही में एक शराब का ठेका आवंटित कराया था। ठेके की बिक्री से पूरे घर का खर्च चलता है।