हरियाणा सरकार 4 साल तक सोती रही अब उसे जगाने का नहीं भगाने का समय आ गया है – दीपेन्द्र हुड्डा

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा आज करनाल में हरियाणा यूथ कांग्रेस द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार 4 साल तक सोती रही अब उसे जगाने का नहीं भगाने का टाईम आ गया है। दीपेन्द्र हुड्डा ने युवाओं की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार भर्तियों में CET क्वालीफाई करने वाले सभी युवाओं को मौका दे और CET क्वालीफाई नियमों में किए गए बदलाव वापस ले। उन्होंने कहा कि काँग्रेस सड़क से लेकर विधानसभा, संसद तक युवाओं की आवाज उठायेगी। अगर मौजूदा सरकार युवाओं की मांगों को नहीं मानती तो प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर प्रत्येक सीईटी क्वालीफाई को मौका देने की मांग पूरा ।

भर्तियों में CET क्वालीफाई करने वाले सभी युवाओं को मौका दे सरकार 

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि आज देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी हरियाणा में है। ये GK का सवाल नहीं, हरियाणा के युवाओं की जिंदगी का सवाल बन गया है। सरकारी पक्की नौकरियों को कौशल निगम के जरिये कच्चे में बदला जा रहा है। तमाम भर्तियाँ लंबित पड़ी हुई हैं, जिन्हें पूरा नहीं किया जा रहा। 2 लाख सरकारी पद खाली पड़े हुए हैं, भर्तियां अटक रही हैं या घोटालों की भेंट चढ़ रही हैं। उन्होंने ऐलान किया कि अगर मौजूदा खाली पड़े सरकारी पदों को नहीं भरती है तो प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर 2 लाख सरकारी पदों पर पक्की भर्ती की जायेगी। सांसद दीपेन्द्र ने हरियाणा यूथ कांग्रेस अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा, परिमल खत्री और युवा कांग्रेस की पूरी टीम को सफल कार्यक्रम आयोजित करने की बधाई दी।

दीपेन्द्र हुड्डा ने युवाओं की मांगों का समर्थन किया और CET क्वालीफाई नियमों में किए गए बदलाव को वापस लेने की मांग की

उन्होंने कहा कि BJP-JJP सरकार CET में जो 4 गुना की मनमानी शर्त लेकर आई है उसका कोई अर्थ नहीं है। मौजूदा सरकार हरियाणा के युवाओं को रोजगार देने की बजाय उन्हें रोजगार से वंचित करने पर ध्यान दे रही है। हरियाणा की नौकरियां हरियाणवी युवाओं को न मिलकर दूसरे राज्यों के लोगों को दी जा रही हैं। भर्तियाँ होने से पहले ही रद्द हो जा रही हैं और जो इक्का-दुक्का भर्ती हो भी रही है तो वो दूसरे राज्य के लोगों को मिल रही है ऐसे में हरियाणा के काबिल युवा कहाँ जाएँ। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि किसान, नौजवान, पहलवान, कर्मचारी, व्यापारी हर वर्ग इस सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली के खिलाफ सड़कों पर उतरने को मजबूर है।

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