सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों ने ली 27 जानें

नई दिल्ली। एक वक्त था कि ट्विीटर, व्हाट्सएप और फेसबुक आदि को एक वरदान के रूप में माना जा रहा था। मगर अब यह सोशल प्लेटफॉर्म नासूर साबित हो रहे हैं। व्हाट्सएप पर अफवाह फैलाई जाती है। नतीजा है कि लोग एक दूसरे को मारने पर उतारू हो जाते हैं।  एक अंग्रेजी अखबार ने दावा किया है कि 9 राज्यों में एक साल के अंदर सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाह के चलते 27 जानें गई हैं। यह सभी अंधविश्वास के चलते जाने गईं। अफवाहें फैलाई गईं कि यदि कोई व्यक्ति अकेले ऐसे रास्ते पर जा रहा है जहां लोगों का आना जाना बंद है। तो वह व्यक्ति बच्चा चोर हो सकता है।
व्हाट्सएप पर अलग-अलग राज्यों में अफवाह फैलाई गई थी कुछ बाहरी लोग सूरज छिपने के बाद उन सड़कों पर जाते हैं जहां अंधेरा रहता और सुनसान इलाका होता है, वहां जाकर बच्चों को चॉकलेट देने के बहाने उठा लेते हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि भीड़ ने 15 जगहों पर अलग-अलग लोगों पर अटैक किया, जिसमें 27 जानें  चली गईं। सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र के जिलों के हैं।
यहां एक जुलाई को भीड़ ने 5 लोगों को उस वक्त पीट-पीटकर मार डाला जब उन्हें लगा कि यह पांचों बच्चा चोर हैं। सबसे ज्यादा हत्याएं अब तक महाराष्ट्र में हो चुकी हैं। कर्नाटक के बेंगलुरु, तमिलनाडु के तिरुमलई, झारखंड के ईस्ट सिंहभूम में तीन, शोभापुर गांव में चार, असम में दो, त्रिपुरा में तीन हत्याएं हो चुकी हैं। खास बात यह है कि इस तरह के मामले में भीड़ इकट्ठा होकर सब कुछ भुला कर ऐसे लोगों पर टूट पड़ती है जो अकेले दिखते हैं या क्षेत्र में नए होते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह अंधविश्वास है।
जरूरत है कि सोशल मीडिया पर प्रचारित होने वाली हर एक सूचना को सत्यापित किया जाए ताकि अफवाह फैलाने वालों पर अंकुश लग सके। किसी भी मैसेज की सत्यता जानना जरूर है। गौरतलब है कि किसी भी संदेश को चंद मिनटों में देश के अलग-अलग हिस्सों में व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर के जरिए आनन फानन में फैलाया दिया जाता है। अफवाहों को रोकने के लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने की जरूरत है।

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