नई दिल्ली। मौद्रिक नीति समिति की दूसरी द्विमासिक समीक्षा बैठक के बाद रीपो रेट में और रीवर्स रीपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा की गई, जबकि सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे के बाद महंगाई बढ़ने की चिंता के मद्देनजर आरबीआई ने नीतिगत दरों में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर दी है। रिवर्स रीपो रेट अब 6 फीसदी हो गया है तो रीपो रोट बढ़कर 6.25 फीसदी हो गया है। 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से यह पहली बार है जब नीतिगत दरों में वृद्धि की गई है। आरबीआई के इस कदम से कर्ज महंगे हो जाएंगे और आपकी ईएमआई बढ़ जाएगी।
आरबीआई ने 2018-19 की पहली छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर 4.8-4.9 प्रतिशत और दूसरी छमाही के लिए 4.7 प्रतिशत किया। वित्त वर्ष 2019 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। सभी एमपीसी सदस्यों ने दरों में वृद्धि के पक्ष में वोट किया। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने बैठक के बाद कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की क्षमता बढ़ी है। ग्रामीण और शहरी इलाकों में खपत बढ़ रही है। मॉनसून अच्छा रहने का अनुमान है, इसलिए पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है।
आरबीआई को पता है कि अगर कच्चे तेल के दाम नई ऊंचाई तक पहुंचे तो इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था और महंगाई पर पड़ना तय है। आरबीआई के पास मार्केट में मनी फ्लो रोकने और डिमांड कम करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने यानी लोन को महंगा करने के अलावा चारा नहीं था।
बैंकों को अपने दैनिक कामकाज के लिए प्रायः ऐसी बड़ी रकम की जरूरत होती है। इसके लिए बैंक जो विकल्प अपनाते हैं, उनमें सबसे सामान्य है केंद्रीय बैंक (भारत में रिजर्व बैंक) से रात भर के लिए (ओवरनाइट) कर्ज लेना। इस कर्ज पर रिजर्व बैंक को उन्हें जो ब्याज देना पड़ता है, उसे ही रीपो दर कहते हैं।
नाम के ही मुताबिक रिवर्स रीपो दर ऊपर बताए गए रीपो दर से उलटा होता है। बैंकों के पास दिन भर के कामकाज के बाद बहुत बार एक बड़ी रकम शेष बच जाती है। बैंक वह रकम अपने पास रखने के बजाय रिजर्व बैंक में रख सकते हैं, जिस पर उन्हें रिजर्व बैंक से ब्याज भी मिलता है। जिस दर पर यह ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रीपो दर कहते हैं। रेपो रेट बढ़ने से आपकी ईएमआई में भी बढ़ोतरी होने के आसार हैं। बैंक अब कार लोन, होम लोन जैसे कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं।