बैंक चालान में हेराफेरी के मामले आ रहे सामने
मिलीभगत से ग्रेनो प्राधिकरण को करोड़ों के राजस्व का चूना
ग्रेटर नोएडा। प्राधिकरण में फर्जी चालान का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। यह मामला अब जिला अधिकारी बीएन सिंह के समक्ष पहुंच चुका है। पीडि़त चंचल कुमार ने बताया कि फरवरी 2016 में उन्होंने भूखंड संख्या 165 उद्योग विहार ग्रेटर नोएडा वेस्ट में खरीदा था। इस दौरान उन्होंने प्राधिकरण से एनओसी निकली तो पता चला कि 81 रुपए 56 पैसे बकाया है। यह रुपए उन्होंने जमा कर दिए।
जिस वक्त उन्होंने ट्रांसफर मेमोरेंडम की प्राधिकरण में प्रार्थना दी उस दौरान पता चला कि अब 49500 बकाया है। यह रुपए उन्होंने 29 मार्च 2016 को जमा कर दिए। इसके बाद दोबारा से 54 हजार बकाया निकाले गए। 27 मई 2016 को 54 हजार भी चंचल कुमार ने जमा कर दिए। जब वक्त ट्रांसफर करने का आया तो चंचल कुमार के पैरों तले जमीन खिसक गई उन्हें पता चला कि 26 लाख रूपय के चालान फाइल में फर्जी लगे हैं।
उनसे कहा गया कि अब यह फाइल इंक्वायरी में जा रही है। आपको इंतजार करना होगा। 2 साल बाद भी चंचल कुमार इंतजार कर रहे हैं। प्राधिकरण अधिकारियों से इस संबंध में बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि प्राधिकरण के संज्ञान में मामला आते ही एफआईआर कराई गई मगर वह यह नहीं बता पाया कि फर्जी चालान फाइल में कैसे लगे और प्राधिकरण की ओर से एनओसी जारी क्यों की गई? चंचल कुमार ने बताया कि यह भूखंड बालाजी भाटिया को आवंटित हुआ था जिसके बाद इस भूखंड को श्रीमती सरोज तनेजा ने खरीदा। 2012 में लीज रेंट व प्राधिकरण के अन्य बकाया जमा करने के बाद एनओसी ली गई थी। यह सभी चालान उसी वक्त के बताए गए हैं।
सवाल उठता है कि क्या फर्जी चालान जमा करने में केवल आवंटी ही दोषी है। फर्जी चालान की जांच न करने वाले प्राधिकरण कर्मियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। प्राधिकरण ने केवल एफआईआर करा कर इतिश्री कर ली जबकि इस भूखंड को खरीदने वाले चंचल कुमार अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।
प्राधिकरण सूत्रों के अनुसार फर्जी चालान के मामला केवल यही नहीं है। यदि कुछ और फाइलें भी खंगाली जाए तो सैकड़ों मामले मिल सकते हैं। ऐसे में चालानों की जांच करना बेहद जरूरी है। बताया जा रहा है कि प्राधिकरण कर्मचारियों की मिलीभगत से ही फर्जी चालान लगाकर प्राधिकरण को करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लगाया गया है।