प्राधिकरण को 400 करोड़ के राजस्व की हानि!

नोएडा। शहर में 83 टॉयलेट्स बनाने का टेंडर बिल्ट ऑपरेट एंड ट्रांसफर (बीओटी) आधार पर निकाला गया। इस टेंडर को लेकर प्राधिकरण अधिकारी शक के घेरे में आने लगे हैं। क्योंकि टॉयलेट तो बनेंगे ही मगर टॉयलेट बनाने वाली कंपनी ने केवल उन्हीं स्थानों पर टॉयलेट निर्माण को प्रमुखता दी है जहां पर विज्ञापन लगाया जा सकता है। प्राधिकरण ने दस साल के लिए यह अनुबंध किया है। एक टॉयलेट बनाने में करीब 6 से 7 लाख रुपए का खर्चा है, मगर उसपर लगने वाला विज्ञापन डेढ़ से दो लाख रुपए महीना की कमाई देता है। यही कारण है कि इन टॉयलेट्स को बनाने की लोकेशन लोगों की सुविधा अनुसार नहीं बल्कि विज्ञापन की दृष्टिï से ही चिन्हित की गई। यदि एक लाख रुपए महीना से भी कमाई का आंकड़ा लगाया जाए तो एक टॉयलेट से आउटडोर विज्ञापन कंपनी को करीब 50 लाख रुपए का फायदा होगा। 50 लाख रुपए एक टॉयलेट पर बचे तो सीधे-सीधे आउटडोर विज्ञापन कंपनियों को 400 करोड़ रुपए दस साल में मिलेंगे। मगर, प्राधिकरण को इसमें कुछ नहीं मिलेगा। इससे राजस्व की भारी हानि हो रही है। बताया जा रहा है कि प्राधिकरण अधिकारियों ने टॉयलेट बनाने के पीछे प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना स्वच्छता अभियान का हवाला दिया था। मगर, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ये टॉयलेट्स स्वच्छता अभियान के लिए नहीं बल्कि कमाई के लिए बनाए गए हैं।

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