प्राधिकरण में मची खलबली, दफ्तरों में बैठने से कतरा रहे अधिकारी
नोएडा। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण को लूट का अड्डा कहते थे मगर, अब यह साबित होने लगा है। जिस तरह से एक के बाद एक घोटाले उजागर हो रहे हैं। उससे जाहिर है कि क्लर्क से लेकर उच्च अधिकारियों तक मिलीभगत कर जनता का पैसा गबन करते रहे हैं। एपीई ब्रह्मïपाल चौधरी के यहां आयकर विभाग ने जब से रेड डाली है। तब से प्राधिकरण के क्लर्क एवं इंजीनियर्स में हड़कंप मच गया है। सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार में प्राधिकरण के सीईओ एवं एसीईओ आदि को ज्यादा से ज्यादा घोटाले उजागर करने के लिए कहा है और किस इंजीनियर पर कितनी संपत्ति है इसका भी गुप्ता तरीके से पता लगाया जा रहा है। यमुना प्राधिकरण के चेयरमैन डा. प्रभात कुमार ने जिस तरह से पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता की कारगुजारियों को उजागर कराकर प्राधिकरण के अरबों रुपए का घोटाला खोला और रिपोर्ट दर्ज कराई। ठीक उसी तर्ज पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी कार्रवाई की तैयारी चल रही है। चर्चाएं है कि जब एक एपीई के पास अकूत संपत्ति है, तो अन्य अधिकारियों के पास कितनी होगी। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। आयकर विभाग की कई टीमें अब प्राधिकरण के इंजीनियर्स को रडार पर ले रही है। काफी ऐसे अधिकारी हैं जो कुछ समय के लिए ही नोएडा प्राधिकरण में आए और यहीं बस गए।इंजीनियर्स की बात करें तो काफी ऐसे वर्क सर्किल में इंजीनियर्स मौजूद हैं जो दूसरे विभागों से डेपोटेशन पर आए और फिर यहीं मर्ज हो गए। उल्लेखनीय है कि प्राधिकरण में इसीलिए एक के बाद एक घोटाले होते रहे। पिछली सरकार में बिल्डर्स को भी भूखण्ड रेवड़ी की तरह बांटे। इतना ही नहीं कुछ ऐसे भी बिल्डर थे जिन्हें प्राधिकरण अधिकारियों ने सीधा लाभ पहुंचाया।
सीबीआई और
कैग सतर्क
पिछले डेढ़ साल से सीबीआई और कैग प्राधिकरण में हुए घोटालों की जांच कर रही है। अब तक कोई सुराग हाथ नहीं लगे हैं। ऐसा लग रहा है कि सीबीआई और कैग अब आयकर विभाग से ही संपर्क साध कर पता लगाएगा कि किस-किस अधिकारी पर उन्हें शक है। जिस तरह से एपीई के पास अकूत संपत्ति होने के प्रमाण मिले हैं। उससे सीबीआई और कैग अब सतर्क हो गई है।