नोएडा। यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता से पुलिस घोटाले के राज उगलवाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। एसएसपी डॉ अजय पाल ने जब पीसी गुप्ता से पूछताछ की तो पीसी गुप्ता ने उन्हें कई अहम जानकारियां दी हैं। हालांकि यह जानकारी फिलहाल अधूरी है। जिसके चलते पुलिस केवल घोटाले में सीधे तौर पर शामिल लोगों की गिरफ्तारी के लिए ही प्रयासरत है।
प्राधिकरण के सूत्रों की माने तो पीसी गुप्ता अपना तबादला बचाने के लिए नेताओं और अधिकारियों को मोटी रकम दिया करते थे। जैसे ही उन पर कभी तबादले की तलवार लटकती तो तुरंत वे अधिकारियों और नेताओं के दरबार में पहुंच जाते थे। अब तक की जानकारी में पीसी गुप्ता व प्राधिकरण के कई अधिकारियों ने यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण को 2000 से अधिक करोड़ रुपए की क्षति पहुंचाई है। पुलिस पता लगा रही है कि पीसी गुप्ता पर किन-किन नेताओं की दया दृष्टि थी, जो बार-बार उनका तबादला रुकवा देते थे। जमीन में हुए घोटाले के साथ-साथ अब पुलिस ग्रेटर नोएडा में डीसीईओ रहते वक्त पीसी गुप्ता ने किन-किन फाइलों को हरी झंडी दी, उसकी भी पुलिस जांच कर सकती है। योगी सरकार ने मंशा जाहिर कर दी है कि किसी भी भ्रष्ट अधिकारी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चाहे वह रिटायर ही क्यों ना हो चुका हो।
एसएसपी ने संकेत दिए हैं कि इस मामले में कई पत्रकारों ने पीसी गुप्ता के लिए दबाव बनाया था लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी। हो सकता है कि इन पत्रकारों को भी पुलिस जांच के लपेटे में ले ले। फिलहाल पुलिस इनके नाम उजागर नहीं कर रही है। प्राधिकरण की विभागीय जांच रिपोर्ट बताती है कि घपले के लिए पीसी गुप्ता ने अपने रिश्तेदारों, जानकारों के नाम की 19 कंपनियां बना दीं। इन कंपनियों ने 41 हेक्टेयर जमीन खरीदी। इन कंपनियों के जरिये पहले किसानों से जमीन खरीदी गई। फिर प्राधिकरण को यह जमीन बेच दी। इस काम में सिर्फ दो से चार माह ही लगे थे।
कुछ पत्रकारों ने एसएसपी पर दबाव बनाने की कोशिश की, हो सकता है कि पुलिस कर दे उन्हें बेनकाब