तबादलों में भी राजनीति : सपा-बसपा के चहेतों का सफाया
नोएडा। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर और लखनऊ प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारियों के तबादले किए गए हैं। नोएडा प्राधिकरण से ज्यादातर वही अधिकारी और कर्मचारी इधर-उधर भेजे गए हैं जिनका संबंध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सपा और बसपा से रहा है। तबादलों में भी राजनीतिक असर दिखा है। ब्यूरोक्रेसी पर राजनीति का कितना प्रभाव है इसका अंदाजा इन तबादलों से लगाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारी तबादला नीति को लेकर कोर्ट गए थे। 2 जुलाई को कोर्ट में सुनवाई होनी थी लेकिन जैसे ही शासन को इस बात की खबर मिली तो आनन-फानन में तबादले कर दिए गए। नोएडा प्राधिकरण से कई अधिकारियों को यमुना प्राधिकरण, लखनऊ प्राधिकरण और गोरखपुर प्राधिकरण भेजा गया है जबकि 1122 लोगों को लखनऊ गोरखपुर से नोएडा स्थांतरित किया गया है। मालूम हो कि तबादला नीति में यूपीएसआईडीसी को भी शामिल करना था मगर उसकी प्रक्रिया पूरी की जा रही थी, जैसे ही शासन को अधिकारियों और कर्मचारियों के कोर्ट जाने की भनक लगी तो तुरंत तबादले कर दिए गए। बताया जा रहा है कि नोएडा प्राधिकरण से सपा और बसपा समर्थित कर्मचारियों और अधिकारियों का सफाया किया गया है।
अधिकारियों और कर्मचारियों के कोर्ट जाने की सूचना मिलते ही शासन ने आनन-फानन में किए तबादले
यूपीएसआईडीसी को तबदालों में फिलहाल नहीं मिली जगह
नोएडा प्राधिकरण के चीफ इंजीनियर होम सिंह यादव को लखनऊ व महाप्रबंधक संदीप चंद्रा को यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण भेजा गया है। ग्रेनो प्राधिकरण में तैनात महाप्रबंधक परियोजना राजीव त्यागी को नोएडा भेजा गया है। ग्रेनो प्राधिकरण की उप महाप्रबंधक नियोजन निमिषा शर्मा को यमुना प्राधिकरण भेजा गया है। नोएडा प्राधिकरण के सहायक महाप्रबंधक सिद्धार्थ गौतम का यमुना प्राधिकरण में तबादला किया गया है। ग्रेटर नोएडा के वरिष्ठ प्रबंधक उद्यान आनंद मोहन सिंह को गोरखपुर विकास प्राधिकरण से संबद्ध किया गया है।
अधिकतर अधिकारियों के तबादले वर्तमान जिले में ही किए गए हैं। ग्रेटर नोएडा में तैनात वरिष्ठ प्रबंधक कार्मिक आलोक नाथ कुछ दिन पहले तक यमुना प्राधिकरण में तैनात थे। यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ संतोष यादव ने उन्हें बेहतर कार्य न करने के चलते रिलीव कर ग्रेनो प्राधिकरण भेज दिया था। उनका तबादला फिर से यमुना प्राधिकरण में कर दिया गया है। इससे तबादलों पर सवाल भी उठने लगे हैं।