अलीगढ़ की पुलिस मुठभेड़ पूर्व नियोजित कार्यक्रम : कांग्रेस

लखनऊ। अलीगढ़ में गत गुरुवार को हुए एनकाउंटर पर सवाल उठाने लगे। जहां पुलिस मुठभेड़ में मारे गए दोनों लोगों के परविार वाले आ रोप लगा रहे हैं कि पुलिस दोनों उनके घर से उठा कर ले गई और उन्हें मार डाला। जबकि कांग्रेस ने इस मुठभेड़ को पुलिस और राज्य सरकार का पूर्व नियोजित आयोजन करार दिया है।

11 महीने के 1241 एनकाउंटर में कांग्रेस ने अधिकतर दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को मारे जाने का आरोप लगाया है। ध्यान रहे कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इस बाबत राज्य सरकार को कई नोटिस जारी कर चुका है फिर भी सारी संस्थाओं को दरकिनार कर प्रदेश पुलिस एनकाउंटर कार्यक्रम में जुटी है।

कांग्रेस के मीडिया कोऑर्डीनेटर राजीव बख्शी ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि प्रदेश पुलिस ने अलीगढ़ के पुलिस कप्तान की मौजूदगी में मीडिया बुलाकर जिस तरह दो अपराधियों के एनकाउंटर की पटकथा लिखी है, उससे यह एनकाउंटर मुठभेड़ की आकस्मिक व यकायक प्रकृति से इतर पुलिस और सरकार का पूर्व नियोजित व निश्चित आयोजन लगता है। बख्शी ने कहा कि जीवन अधिकारों के लिए जिम्मेदार सरकार और पुलिस जब मौत की वीडियो रिकार्डिंग करने का आमंत्रण दे तो यह मानवता को शर्मसार करने वाला अमानवीय कृत्य हो जाता है। मौत का ऐसा फिल्मांकन एक लोकतांत्रिक व सभ्य समाज को शोभा नहीं देता।
कांग्रेस ने एनकाउंटर को राज्य सरकार का राजनीतिक कार्यक्रम करार देते हुए कहा कि विधि अनुसार अपराध रोकथाम और अपराधियों को दंड दिलाने में अक्षम और स्वेच्छाचारी सरकार यह भूल जाती है कि यह देश न्यायिक व्यवस्था संचालन के लिए इंडियन पेनल कोड और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता से चलता है। बख्शी ने कहा कि कोई भी सरकार किसी व्यक्ति को उसके जीवन अधिकार से न्यायिक प्रक्रिया का शुचितापूर्ण पालन किए बिना वंचित नहीं कर सकती। भारतीय संविधान ने यह अधिकार न्यायालयों को दिया है, पुलिस और सरकार को नहीं।

अलीगढ़ में तीन साधुओं समेत छह हत्याओं में आरोपित इनामी जीजा-साले का एनकाउंटर अब राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। लोकसभा चुनाव नजदीक है, सो राजनेताओं को बोलने का खूब मौका मिल रहा है।

कांग्रेस व बसपा नेता एनकाउंटर की आड़ लेकर जहां योगी, मोदी सरकार की टांग खींच रहे हैं, वहीं सत्ताधारी और समर्थक अपराध मुक्त समाज का नारा देकर जनता को साथ लेने का मौका नहीं छोड़ रहे। एनकाउंटर को लेकर सोशल साइट्स पर भी टिप्पणियां की जा रही हैं। यूपी पुलिस पर संप्रदाय विशेष को ही निशाना बनाने के आरोप लग रहे हैं। पुलिस अधिकारी भी टिप्पणी, आरोपों को दरकिनार कर साक्ष्य व तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की बात कर रहे हैं।

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