समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस से दूरियां बढ़ा ली हैं। जिस तरह से अखिलेश यादव बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती के नजदीक पहुंचे और फिर उनकी ओर से उनके चाचा रामगोपाल यादव आम आदमी पार्टी (आप) से संपर्क बढ़ा रहे हैं, उससे साफ जाहिर है कि अखिलेश यादव अपने अलग तरीके से चुनावी समीकरण तैयार करने में जुटे हैं।उन्होंने गठबंधन होने पर कांग्रेस को महज 3-4 सीटें देने की ही बात कही। इससे साफ जाहिर है कि यह खेमा कांग्रेस को अपने साथ रखना नहीं चाहता है या फिर रखेगा तो अपनी ही शर्तों पर। अखिलेश यादव ‘आपÓ को साथ रखने के लिए बेचैन दिख रहे हैं। लखनऊ में आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इसके बाद उनके चाचा रामगोपाल यादव अस्पताल में मनीष सिसोदिया का हालचाल लेने पहुंचे। इससे चर्चा है कि अखिलेश यादव अरविंद केजरीवाल और सुश्री मायावती के साथ से ही लोकसभा 2019 चुनाव फतह करने की रणनीति बना रहे हैं। ऐसे में अगर सब कुछ सही रहा तो अखिलेश यादव के जातिगत आंकड़ों के अनुसार यूपी में भाजपा का सफाया किया जा सकता है। आम आदमी पार्टी शहरी वर्ग में काफी लोकप्रिय मानी जाती है। जबकि दलित वोटों को रिझाने के लिए बहनजी से अच्छा नेता कोई नही है। ममता बनर्जी की पकड़ बंगाल व आसपास के राज्यों में मजबूत है। अखिलेश यादव व अन्य सहयोगी दल उन्हें वहां पर समर्थन देंगे।