उत्तराखंड: भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकार राजीव प्रताप सिंह का शव झील में मिला, पत्नी का आरोप- लगातार मिल रहीं थीं धमकियां

Journalist Rajiv Pratap Singh murdered: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप सिंह का शव संदिग्ध परिस्थितियों में झील में मिलने के बाद सनसनी फैल गई है। 18 सितंबर से लापता राजीव का शव सोमवार को जोशीयाड़ा बैराज की झील से बरामद किया गया। परिवार का दावा है कि सरकारी अस्पताल में भ्रष्टाचार और खराब हालात उजागर करने वाले उनके वीडियो के बाद राजीव को जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं। इस घटना ने स्थानीय पत्रकार बिरादरी और जनता में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है, जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निष्पक्ष जांच के आदेश दिए हैं।

राजीव प्रताप सिंह (उम्र करीब 40 वर्ष) उत्तरकाशी के निवासी थे और ‘दिल्ली-उत्तराखंड लाइव’ नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्वतंत्र पत्रकारिता कर रहे थे। वे स्थानीय मुद्दों, खासकर भ्रष्टाचार और जनहित से जुड़ी खबरों पर फोकस करते थे। हाल ही में उन्होंने उत्तरकाशी जिला अस्पताल की बदहाली पर एक वीडियो बनाया था, जिसमें अस्पताल की दीवारों में दरारें, दवाओं की कमी और मरीजों की खराब स्थिति को उजागर किया गया था। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और हजारों व्यूज बटोर लिया।

घटना की समयरेखा के अनुसार, 18 सितंबर की रात करीब 11 बजे राजीव गंगोत्री क्षेत्र से एक मित्र से उधार ली गई कार में निकले थे। अगले दिन 19 सितंबर को उनकी कार स्यूणा गांव के पास भागीरथी नदी किनारे खाली मिली। परिवार ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, लेकिन नौ दिनों तक कोई सुराग नहीं मिला। आखिरकार, 29 सितंबर को जोशीयाड़ा बैराज स्थित झील में उनका शव मिला, जो भागीरथी नदी से जुड़ी हुई है। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट में अभी कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है।

राजीव की पत्नी ने पत्रकारों से बातचीत में दर्द भरी गुहार लगाई। उन्होंने कहा, “मेरे पति को धमकियां मिल रही थीं। अस्पताल वाले वीडियो के बाद से उन्हें मानसिक तनाव हो गया था। धमकी देने वाले फोन पर कहते थे कि वे चुप रहें, वरना अंजाम बुरा होगा।” पत्नी के अनुसार, राजीव ने धमकियों की जानकारी परिवार को दी थी, लेकिन वे डर के मारे चुप थे। परिवार ने पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है और आशंका जताई है कि यह हत्या का मामला हो सकता है।

इस घटना पर सोशल मीडिया पर भी व्यापक बहस छिड़ गई है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कई यूजर्स ने इसे ‘पत्रकारिता पर हमला’ करार दिया है। एक पोस्ट में लिखा गया, “स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप सिंह उत्तरकाशी में संदिग्ध परिस्थितियों में निधन। भ्रष्टाचार और जनहित की रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे। परिवार और पत्रकार संगठन निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।” उत्तराखंड पत्रकार संघ ने भी बयान जारी कर कहा कि राजीव जैसे साहसी पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजीव की मौत पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मामले की तत्काल और निष्पक्ष जांच की जाए तथा दोषियों को सख्त सजा सुनिश्चित की जाए। पुलिस ने अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है, लेकिन जांच जारी है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है, जो मौत के कारणों को स्पष्ट कर सकती है।

यह घटना उत्तराखंड में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकारों को अक्सर धमकियां मिलती हैं, और ऐसी घटनाओं से प्रेस की स्वतंत्रता पर खतरा मंडराता है। राजीव के निधन से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरी पत्रकार बिरादरी शोकाकुल है।

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