कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ संयुक्त ट्रेड यूनियन का प्रदर्शन

meerut news  संयुक्त ट्रेड यूनियन परिषद के आह्वान पर बुधवार को पूरे देश में एकदिवसीय विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। मेरठ में भी विभिन्न सरकारी विभागों, बैंक, बीमा क्षेत्र और किसान संगठनों से जुड़े सैकड़ों कार्यकतार्ओं ने केंद्र सरकार की कर्मचारी और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने नई पेंशन योजना (एनपीएस) को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को पुन: लागू करने की पुरजोर मांग की। इसके साथ ही न्यूनतम वेतन ?26,000 प्रतिमाह तय करने, ठेका प्रथा और आउटसोर्सिंग प्रणाली पर पूर्ण रोक लगाने की मांग की गई।
संयुक्त ट्रेड यूनियन परिषद मेरठ के संयोजक संजीव कुमार शर्मा ने बताया कि यह आंदोलन केंद्र सरकार, राज्य सरकार, बैंक, बीमा, परिवहन, निर्माण, कृषि एवं अन्य क्षेत्रों के कर्मचारियों और मजदूरों की एकजुटता का परिणाम है। उन्होंने बताया कि इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में देश के 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों और अनेक स्वतंत्र महासंघों ने भाग लिया। संजीव शर्मा ने आॅक्सफैम की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत की आर्थिक असमानता लगातार बढ़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, देश के 13 शीर्ष पूंजीपतियों के पास जितनी संपत्ति है, उतनी ही संपत्ति देश की 65 करोड़ आबादी के पास है। जहां अमीरों की संपत्ति में 12% की वृद्धि हुई है, वहीं गरीबों की संपत्ति में 11% की गिरावट दर्ज की गई है।
प्रदर्शनकारियों ने किसानों की समस्याओं को भी प्रमुखता से उठाया। उन्होंने फसलों के लिए लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने की मांग की। इसके साथ ही, एनडीए सरकार के कार्यकाल में बढ़ती किसान आत्महत्याओं को लेकर चिंता जताई और कृषि संकट को दूर करने के लिए ठोस नीतिगत हस्तक्षेप की मांग की। विरोध सभा के दौरान सरकार से तुरंत प्रभाव से इन मांगों पर अमल करने और जन विरोधी नीतियों को वापस लेने की अपील की गई। सभा के अंत में एक ज्ञापन प्रशासन को सौंपा गया, जिसमें सभी प्रमुख मांगों का उल्लेख किया गया है।

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