चक्रवात ने कोलंबो सहित पूरे देश को प्रभावित किया। केंद्रीय पहाड़ी इलाकों जैसे बादुल्ला और नुवारा एलिया में भूस्खलन से दर्जनों गांव मिट्टी और मलबे में दब गए। कोलंबो के आसपास के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस आया, जिससे हजारों घर जलमग्न हो गए। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, 15,000 से अधिक घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं, जबकि 10 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। चाय बागानों और पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान पहुंचा है, जो श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।
2024 में चाय निर्यात से देश को 1.43 अरब डॉलर की कमाई हुई थी, लेकिन इस आपदा से उत्पादन पर असर पड़ेगा।
श्रीलंकाई सेना और नौसेना की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं, लेकिन दुर्गम इलाकों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है। एक हेलीकॉप्टर क्रैश में पायलट की मौत हो गई। राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील की है। नेपाल ने 2 लाख डॉलर की आर्थिक सहायता दी है, जबकि पाकिस्तान की नौसेना ने हेलीकॉप्टर से बचाव कार्य में मदद की।
भारत पर चक्रवात का असर
चक्रवात ‘दित्वाह’ ने श्रीलंका को पार करने के बाद बंगाल की खाड़ी में फिर से ताकत हासिल की और भारत के पूर्वी तट के समानांतर चलने लगा। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने तमिलनाडु, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश के लिए रेड अलर्ट जारी किया। चेन्नई, तिरुवल्लुर और कांचीपुरम जिले में स्कूल-कॉलेज बंद रहे, जबकि कई उड़ानें रद्द हो गईं।
तमिलनाडु में भारी बारिश से तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि बाढ़ और जलभराव ने यातायात बाधित कर दिया। आंध्र प्रदेश के नेल्लोर और तिरुपति में भी हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। चक्रवात अब कमजोर होकर डिप्रेशन में बदल चुका है, लेकिन अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी बरकरार है।
भारत की त्वरित सहायता
पड़ोसी देश के संकट में भारत ने तुरंत कदम उठाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति से फोन पर बात कर संवेदना व्यक्त की और और मदद का आश्वासन दिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि भारत ने 10 टन से अधिक राहत सामग्री, जिसमें चिकित्सा टीम शामिल है, भेजी है।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की दो टीमें बादुल्ला जिले में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय हैं। भारतीय वायुसेना ने सी-130 और आईएल-76 विमानों से आपूर्ति पहुंचाई, जबकि नौसेना ने बचाव अभियान में सहयोग दिया। एक गर्भवती महिला को भारतीय टीम ने सुरक्षित निकाला। इसके अलावा, श्रीलंका से फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया। श्रीलंकाई उप-पर्यटन मंत्री रुवान रनासिंघे ने भारत और एनडीआरएफ को धन्यवाद दिया।
यह सहायता भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति का हिस्सा है, जो 2022 के आर्थिक संकट के दौरान श्रीलंका को दिए गए ऋण और ईंधन सहायता की याद दिलाती है।
पुनर्वास की चुनौतियां
श्रीलंका में बाढ़ का पानी अब धीरे-धीरे उतर रहा है, लेकिन स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि बाढ़ से फैलने वाली बीमारियां खतरा बन सकती हैं। पर्यटन उद्योग ठप हो गया है, जो 2025 में 3 मिलियन पर्यटकों का लक्ष्य लेकर चल रहा था। देश पहले से ही 2022 के आर्थिक पतन से जूझ रहा है, और अब जलवायु परिवर्तन से जुड़ी ऐसी आपदाएं अर्थव्यवस्था को और कमजोर कर रही हैं।
एशिया में एक साथ तीन चक्रवातों (दित्वाह, सेनयार और अन्य) ने 1,200 से अधिक लोगों की जान ले ली है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग से ऐसे तूफान और तीव्र हो रहे हैं। श्रीलंका सरकार एक फंड स्थापित करने की योजना बना रही है, जिसमें भारत, चीन और जापान जैसे देशों से मदद की उम्मीद है।
यह आपदा श्रीलंका के लोगों के लिए एक नया संकट है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय सहयोग से उम्मीद की किरण बनी हुई है। राहत कार्य तेज करने की जरूरत है, ताकि और जानें बचाई जा सकें।

