सोमवार को सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के प्रबंधन में पारदर्शिता और भक्तों की सुविधा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। कोर्ट ने कहा कि मंदिर का प्रबंधन एक पवित्र जिम्मेदारी है, और इसे लेकर किसी भी तरह का विवाद या कुप्रबंधन अस्वीकार्य है।
यूपी सरकार की ओर से प्रस्तुत तर्कों पर असंतोष जताते हुए, कोर्ट ने पूछा कि मंदिर के प्रबंधन में भक्तों के हितों को प्राथमिकता क्यों नहीं दी जा रही। कोर्ट ने सुझाव दिया कि एक अंतरिम समिति बनाई जाए, जिसमें स्थानीय प्रशासन, मंदिर के पुजारी और अन्य हितधारक शामिल हों, ताकि मंदिर का सुचारू संचालन सुनिश्चित हो सके।
यह विवाद मंदिर के प्रबंधन और भीड़ नियंत्रण को लेकर लंबे समय से चल रहा है। भक्तों ने शिकायत की है कि मंदिर में अव्यवस्था और कुप्रबंधन के कारण दर्शन में परेशानी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाए और अगली सुनवाई में मामले में प्रगति की रिपोर्ट पेश करे।

