घटना 22 दिसंबर की है, जब छात्रा प्री-बोर्ड परीक्षा दे रही थी। आरोप है कि वह अनजाने में अपना मोबाइल फोन परीक्षा कक्ष में लेकर चली गई थी। निरीक्षक ने फोन पकड़ा और देखा कि छात्रा कथित रूप से AI-आधारित टूल्स का इस्तेमाल करके उत्तर प्राप्त कर रही थी। फोन जब्त कर लिया गया और छात्रा को शिक्षकों व प्रिंसिपल के सामने पेश किया गया।
परिवार के अनुसार, स्कूल ने छात्रा के माता-पिता को बुलाया। पिता के स्कूल पहुंचने पर भी छात्रा को कथित तौर पर डांटा गया और अपमानित किया गया। पिता ने शिकायत में कहा कि शिक्षकों ने उन्हें भी “लापरवाह” कहा और छात्रा पर इतना दबाव डाला गया कि उसे गहरा सदमा लग गया। अगली सुबह 23 दिसंबर को छात्रा ने अपने आठवीं मंजिल के फ्लैट से कूदकर आत्महत्या कर ली।
छात्रा के पिता ने 26 दिसंबर को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें स्कूल प्रबंधन, प्रिंसिपल, क्लास टीचर पूनम दुबे और एक अन्य शिक्षक तापस के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने (बीएनएस धारा 108) और मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। पिता का कहना है कि इस घटना से उनकी अन्य दो बेटियां, जो उसी स्कूल में पढ़ती हैं, आघात में हैं और वे स्कूल जाने से डर रही हैं।
दूसरी ओर, स्कूल प्रिंसिपल ने सभी आरोपों का खंडन किया है। प्रिंसिपल का कहना है कि स्कूल ने सीबीएसई के नियमों का पालन किया। छात्रा को केवल चेतावनी दी गई कि बोर्ड परीक्षा में इस तरह की चीटिंग पकड़े जाने पर 5 साल तक परीक्षा देने पर प्रतिबंध लग सकता है। बातचीत संक्षिप्त, व्यावसायिक और बिना किसी चिल्लाहट या अपमान के हुई। माता-पिता को तुरंत सूचना दी गई और वे 10-15 मिनट में स्कूल पहुंच गए। स्कूल ने सीसीटीवी फुटेज पुलिस को सौंप दी है और जांच में पूरा सहयोग करने की बात कही है।
पुलिस मामले की जांच कर रही है। परिवार, स्कूल स्टाफ और गवाहों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद एफआईआर दर्ज करने पर फैसला लिया जाएगा।
यह घटना शिक्षा जगत में बढ़ते दबाव और परीक्षा संबंधी नियमों के सख्ती से लागू होने पर सवाल उठा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रों के साथ ऐसे मामलों में संवेदनशीलता बरतना जरूरी है। जांच पूरी होने के बाद ही पूरी तस्वीर साफ हो सकेगी।

