नए श्रम कानूनों से सैलरी पर कितना असर?, क्या बदलेगा कामगारों का भविष्य

Labor Code News: केंद्र सरकार ने स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़े श्रम सुधारों के तहत 29 पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर चार नए श्रम संहिताओं को 21 नवंबर से लागू कर दिया है। ये संहिताएं—वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशा संहिता 2020—करीब 40 करोड़ कामगारों के जीवन को प्रभावित करेंगी। लेकिन सवाल उठ रहा है: क्या बैंक खातों में आने वाली सैलरी कम हो जाएगी? विशेषज्ञों का कहना है कि इन-हैंड सैलरी पर थोड़ा असर पड़ सकता है, लेकिन लंबे समय में सामाजिक सुरक्षा और भविष्य के लाभ बढ़ेंगे। आइए, समझते हैं क्या बदलेगा।

सैलरी पर सीधा असर
नए कानूनों के तहत ‘वेतन’ की नई परिभाषा लागू हुई है, जिसमें बेसिक पे, महंगाई भत्ता (DA) और रिटेनिंग अलाउंस शामिल हैं। कुल वेतन का कम से कम 50% हिस्सा बेसिक पे होना अनिवार्य है। पहले कंपनियां अलाउंस (जैसे HRA, मेडिकल) को बढ़ाकर PF, ग्रेच्युटी और ESIC जैसे कटौतियों से बच जाती थीं, जिससे कर्मचारियों की जेब में ज्यादा पैसे आते थे। अब यह संरचना बदलने से इन-हैंड सैलरी 10-20% तक कम हो सकती है, क्योंकि PF और अन्य योगदान बढ़ेंगे।

हालांकि, सरकार का दावा है कि न्यूनतम मजदूरी की गारंटी से कोई कामगार भूखा नहीं सोएगा। सभी कर्मचारियों को हर महीने की 7 तारीख तक सैलरी मिलनी अनिवार्य होगी, खासकर IT और ITES सेक्टर में। ओवरटाइम पर दोगुना वेतन मिलेगा, जो अतिरिक्त काम के लिए प्रोत्साहन देगा। श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा, “ये सुधार श्रमिकों को सशक्त बनाएंगे और उद्योगों के लिए कारोबार आसान करेंगे।”

महिलाओं और गिग वर्कर्स के लिए नई सुविधाएं
महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन की गारंटी मिली है। अब वे नाइट शिफ्ट कर सकेंगी, साथ ही मातृत्व अवकाश और सुरक्षित कार्यस्थल के नए प्रावधान हैं। ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को भी समान अधिकार दिए गए हैं।

गिग इकोनॉमी (जैसे उबर, जोमाटो ड्राइवर) और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को पहली बार कानूनी मान्यता मिली। इन्हें PF, ESIC और दुर्घटना बीमा का लाभ होगा। प्रवासी मजदूरों के लिए लाभ पोर्टेबल होंगे, यानी राज्य बदलने पर भी सुविधाएं बरकरार रहेंगी।

ग्रेच्युटी और सामाजिक सुरक्षा
फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को अब 1 साल की सर्विस के बाद ग्रेच्युटी मिलेगी (पहले 5 साल जरूरी थे)। 40 साल से ऊपर के कामगारों को सालाना मुफ्त स्वास्थ्य जांच अनिवार्य होगी। PF कटौती बढ़ने से रिटायरमेंट फंड मजबूत होगा, लेकिन तत्काल सैलरी पर बोझ पड़ेगा।

सामाजिक सुरक्षा का दायरा 64% तक बढ़ चुका है, जो गिग वर्कर्स और अनौपचारिक सेक्टर को कवर करेगा।

ट्रेड यूनियनों का विरोध
10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने इन कोड्स को ‘मजदूर-विरोधी’ बताते हुए विरोध किया है। उनका कहना है कि फिक्स्ड-टर्म जॉब्स बढ़ने से स्थायी नौकरियां खतरे में पड़ेंगी और सैलरी कटौतियां शोषण को बढ़ावा देंगी। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा, “ये कानून पुराने अधिकार छीन लेंगे।” लेकिन सरकार इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ का हिस्सा बता रही है।

कंपनियों पर क्या बोझ?
कंपनियों को सैलरी स्ट्रक्चर फिर से डिजाइन करना पड़ेगा। सिंगल रजिस्ट्रेशन और डिजिटल कंप्लायंस से अनुपालन आसान होगा, लेकिन छोटे उद्योगों (MSMEs) को 2 साल की छूट मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “ये ऐतिहासिक कदम श्रमिकों को सशक्त बनाएगा।”

निष्कर्ष
नए कानूनों से सैलरी कम लग सकती है, लेकिन न्यूनतम मजदूरी, समयबद्ध भुगतान और भविष्य सुरक्षा के फायदे लंबे समय में ज्यादा हैं। कर्मचारियों को अपनी सैलरी स्लिप चेक करनी चाहिए और कंपनियां जल्द अपडेट करें। श्रम मंत्रालय ने हेल्पलाइन शुरू की है—कामगारों से अपील है कि वे ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर करें। ये सुधार भारत को वैश्विक मानकों पर ले जाएंगे, लेकिन सफलता अमल पर निर्भर करेगी।

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