कुमारी सैलजा ने सीएम को पत्र लिख नहरी-नालों की सफाई, घग्गर नदी तटबंधों की अनदेखी पर जताई नाराजगी

All India Congress Committee News: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने मुख्यमंत्री हरियाणा नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर सिरसा संसदीय क्षेत्र में नहरी नालों की सफाई, घग्गर नदी के तटबंधों के मजबूतीकरण और अमृत योजना की लापरवाही को लेकर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। अगर समय रहते इनपर ध्यान दिया गया होता तो बाढ़ से इतना नुकसान न होगा और न ही जनहानि होती।

सांसद कुमारी सैलजा ने सीएम को लिखे पत्र में पत्र में लिखा कि मानसून शुरू होने से पहले मई और जून में उन्होंने नहरी नालों की नियमित सफाई और घग्गर नदी तटबंधों की मजबूतीकरण का आग्रह किया था। 30 जून तक संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी जारी हुए थे, लेकिन धरातल पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। तीन जुलाई को सिरसा में हुई दिशा की बैठक में भी इस विषय को प्रमुखता से उठाया गया था और अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद हाल ही में सिरसा, फतेहाबाद और जींद जिलों के बाढ़ प्रभावित गांवों के दौरे में यह स्पष्ट हुआ कि नहरी नालों और सीवरेज की समय पर सफाई न होने से फसलों और आवासीय क्षेत्रों को भारी नुकसान हुआ। सांसद ने कहा कि हिसार-घग्गर ट्रेन मार्ग के साथ लगते गांवों में हालात बेहद खराब हैं। दिनेश की ढाणी सहित कई गांवों में हजारों एकड़ फसल पानी में डूबकर नष्ट हो गई। यदि सरकार ने समय रहते प्रबंध किए होते तो किसानों को यह दिन नहीं देखना पड़ता। कुमारी सैलजा ने हरियाणा सरकार द्वारा घोषित मुआवजा राशि को किसानों के साथ मजाक करार दिया और कहा कि यह उनके घावों पर नमक छिड़कने जैसा है। उन्होंने मांग की कि किसानों की क्षति का सही आकलन कर उचित और पर्याप्त मुआवजा तुरंत दिया जाए ताकि वे दोबारा अपनी आजीविका खड़ी कर सकें। कुमारी सैलजा ने मुख्यमंत्री से यह भी अनुरोध किया कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो इसके लिए संबंधित विभागों को कड़े निर्देश दिए जाएं और आदेशों की प्रभावी पालना सुनिश्चित की जाए। उन्होंने सिरसा नगर की अमृत योजना को लेकर भी चिंता जताई और कहा कि सीवरों की सफाई न होने से नागरिकों को वर्षा ऋतु में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा है। उन्होंने सरकार से इस दिशा में त्वरित हस्तक्षेप और ठोस कार्रवाई करने की मांग की है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि जब सरकार हर साल नहरों, नालों और नदियों की सफाई के लिए मानसून से पहले हर जिला को बजट जारी करती है फिर भी करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद नदी, नहरों और माइनरों की साफ-सफाई नहीं होती। ऐसा लगता है, जैसे केवल कागजों में ही सफाई अभियान चलाया जा रहा है। शहर के आसपास से गुजर रही ड्रेनें घास और जलकुंभी से अटी हुई है, लेकिन सफाई की और कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। संबधित विभाग केवल खानापूर्ति तक ही सिमटा रहता है। कहने को तो मनरेगा स्कीम के तहत सफाई करवाई जा रही है लेकिन माइनरों, नहरों और ड्रेनों को देखकर लगता है सफाई अभियान कागजों तक ही सिमटा हुआ है। इसी कारण नहरों और नदियों की सफाई नहीं हो रही है और थोड़ी सी बरसात होने पर बाढ़ की स्थिति बन जाती है। दिशा की बैठक में भी लोगों की ओर से कुछ नहरों और नालों के फोटो रखे गए थे जिनसे साफ दिख रहा था कि नहरों, नालों की सफाई की ही नहीं गई है। सरकार को इसके लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए और इसकी निष्पक्ष जांच भी कराई जानी चाहिए कि किस किस अधिकारी ने सफाई के नाम पर कागजों का पेट भरा|

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