रेयर अर्थ मिनरल्स रिसाइक्लिंग, सरकार की नई स्कीम को कैबिनेट में मिल सकती है मंजूरी, इन शेयरों पर रहेगी सबकी नजर

Rare Earth Minerals Recycling News: भारत सरकार रेयर अर्थ मिनरल्स और क्रिटिकल मिनरल्स की रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए एक नई महत्वाकांक्षी स्कीम लाने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, आज होने वाली केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस स्कीम पर चर्चा होगी और आज इसे अंतिम मंजूरी भी मिल सकती है। यह स्कीम पांच साल की होगी और इसके तहत शुरुआती तौर पर 1,500 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य लिथियम, कोबाल्ट, निकेल, कॉपर और रेयर अर्थ मिनरल्स जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की रिसाइक्लिंग को बढ़ावा दिया जाएगा, जो इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरी, सौर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा क्षेत्र के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

चीन की निर्भरता कम करने की रणनीति
रेयर अर्थ मिनरल्स और क्रिटिकल मिनरल्स की वैश्विक आपूर्ति पर चीन और कुछ अन्य देशों का दबदबा है। भारत इस आपूर्ति श्रृंखला में अपनी निर्भरता को कम करने के लिए रिसाइक्लिंग पर जोर दे रहा है। नई स्कीम के तहत सरकार रिसाइक्लिंग प्रक्रियाओं को प्रोत्साहन देगी, जिससे घरेलू उत्पादन बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता घटेगी। यह कदम भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

क्या है नई स्कीम?
• पांच साल की प्रोत्साहन योजना: सरकार लिथियम, कोबाल्ट, निकेल और कॉपर जैसे क्रिटिकल मिनरल्स की रिसाइक्लिंग के लिए पांच साल की इंसेंटिव स्कीम लाएगी।
• 1,500 करोड़ रुपये का निवेश: शुरुआती चरण में इस स्कीम के लिए 1,500 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे।
• लागत में कमी, मुनाफे में बढ़ोतरी: सरकारी सब्सिडी और प्रोत्साहन से रिसाइक्लिंग और मेटल प्रोसेसिंग कंपनियों की लागत कम होगी, जिससे उनका मुनाफा मार्जिन बेहतर होगा।
• EV और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर को फायदा: यह स्कीम इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगी।

किन सेक्टरों को होगा फायदा?
इस स्कीम के लागू होने से रिसाइक्लिंग और मेटल प्रोसेसिंग कंपनियों में मांग बढ़ने की उम्मीद है। इलेक्ट्रिक वाहन (EV), बैटरी निर्माण, सौर ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को सीधा लाभ मिलेगा। निवेशकों की नजर अब उन कंपनियों के शेयरों पर है, जो रिसाइक्लिंग और क्रिटिकल मिनरल्स के प्रोसेसिंग में सक्रिय हैं। अगर कैबिनेट से इस स्कीम को मंजूरी मिलती है, तो इन सेक्टरों की कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है।

क्यों जरूरी है यह स्कीम?
रेयर अर्थ मिनरल्स और क्रिटिकल मिनरल्स आधुनिक तकनीक और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के लिए रीढ़ की हड्डी हैं। ये मिनरल्स इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी, सौर पैनल, पवन टरबाइन, स्मार्टफोन और रक्षा उपकरणों जैसे मिसाइल और रडार सिस्टम में उपयोग होते हैं। वैश्विक आपूर्ति पर कुछ देशों का नियंत्रण होने के कारण इन मिनरल्स की कमी या कीमतों में उतार-चढ़ाव भारत जैसे देशों के लिए चुनौती बन सकता है। रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देकर भारत न केवल अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लक्ष्यों को भी प्राप्त करेगा।

निवेशकों के लिए अवसर
नई स्कीम के ऐलान के बाद रिसाइक्लिंग और मेटल प्रोसेसिंग से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में उछाल की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि EV बैटरी, रिन्यूएबल एनर्जी और रिसाइक्लिंग सेक्टर की कंपनियों के शेयरों पर निवेशकों की नजर रहेगी। कुछ प्रमुख कंपनियां जो इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, उनमें तेजी देखने को मिल सकती है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे इस स्कीम से संबंधित अपडेट्स पर बारीकी से नजर रखें।

आगे की राह
कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस स्कीम को लागू करने के लिए सरकार जल्द ही विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर सकती है। यह योजना न केवल भारत की औद्योगिक और आर्थिक नीतियों को मजबूत करेगी, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह स्कीम भारत को वैश्विक क्रिटिकल मिनरल्स मार्केट में एक मजबूत खिलाड़ी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।

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