लापता नजीब: सीबीआई को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति
नई दिल्ली। हाई कोर्ट ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नजीब अहमद के लापता होने के मामले में सीबीआई को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति सोमवार को दे दी। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कहा कि अहमद की मां निचली अदालत में अपनी बात रख सकती हैं, जहां रिपोर्ट दायर की गई है
आप को बता दें कि अहमद की मां ने हाई कोर्ट में अर्जी देकर अनुरोध किया था कि उनके बेटे का पता लगाने के लिए अदालत पुलिस को निर्देश दे। पीठ ने यह भी कहा कि यदि अहमद की मां को मामले पर स्थिति रिपोर्ट चाहिए तो उन्हें निचली अदालत जाना होगा।
14 अक्टूबर की रात एबीवीपी से कथित रूप से जुड़े कुछ छात्रों के साथ कहासुनी के बाद अहमद 15 अक्टूबर, 2016 को जवाहर लाल विश्वविद्यालय के माही-मांडवी हॉस्टल से लापता हो गया था।
15 अक्टूबर, 2016 को एबीवीपी के कुछ छात्रों के साथ कहासुनी के बाद जेएनयू का छात्र नजीब अहमद माही-मांडवी छात्रावास से लापता।
18 अक्टूबर, 2016 लापता छात्र का पता लगाने के लिए जेएनयू ने सीबीआई, एनसीआरबी से मदद मांगी।
20 अक्टूबर, 2016 गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लापता छात्र का पता लगाने के लिए पुलिस से विशेष टीम गठित करने को कहा।
24 अक्टूबर, 2016 दिल्ली पुलिस ने सूचना देने वाले को 1 लाख रुपये इनाम देने की घोषणा की।
25 नवंबर, 2016 अहमद की मां ने बेटे का पता लगाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट से गुहार लगाई।
28 नवंबर, 2016 दिल्ली पुलिस ने अहमद के बारे में सूचना देने वाले के लिए इनाम की राशि बढ़ाकर 10 लाख रुपये की।
28 नवंबर, 2016 अदालत ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह सभी राजनीतिक झमेलों से ऊपर उठकर अहमद का पता लगाए क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी से यूंही कोई लापता नहीं हो सकता।
14 दिसंबर, 2016 को अदालत ने पुलिस को खोजी कुत्तों की मदद से सभी छात्रावासों, कक्षाओं और छतों सहित पूरे जेएनयू परिसर में तलाशी का आदेश दिया।
19 दिसंबर, 2016 को अहमद के संबंध में सुराग पाने के लिए 600 से ज्यादा पुलिसकर्मियों, खोजी कुत्तों ने जेएनयू परिसर की तलाशी ली।
28 जनवरी, 2017 को अहमद के परिवार ने दिल्ली पुलिस पर बदायूं स्थित उनके आवास पर तड़के तलाशी लेकर उन्हें प्रताडि़त करने का आरोप लगाया।
13 फरवरी, 2017 को अहमद के संबंध में कोई सूचना नहीं मिलने से अदालत नाराज; परिवार ने जांच किसी अन्य एजेंसी को सौंपने की मांग की।
30 मार्च, 2017 को मजिस्ट्रेट अदालत ने पॉलीग्राफ/लाई-डिटेक्टर परीक्षण के खिलाफ नौ छात्रों की याचिका खारिज की। उन्हें छह अप्रैल को उपस्थित होने का समन भेजा।
3 मई, 2017 को सत्र अदालत ने मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले पर रोक लगाई। हालांकि दिल्ली पुलिस को नए सिरे से नोटिस भेजने की अनुमति दी।
15 मई, 2017 को अहमद के रिश्तेदारों को फोन करके उसे छोडऩे के एवज में 20 लाख रुपये की फिरौती मांगने संबंध फोन कॉल से जुड़े मामले में पुलिस ने आरोपपत्र दाखिल किया।
16 मई, 2017 को अदालत ने जेएनयू से लापता छात्र के मामले की जांच तत्काल प्रभाव से सीबीआई को सौंपी और जांच की निगरानी कम से कम डीआईजी रैंक के अधिकारी से कराने को कहा।
14 नवंबर, 2017 को सीबीआई ने अदालत को बताया कि उसने संदिग्ध छात्रों के मोबाइल फोन फॉरेंसिक प्रयोगशाला में भेज दिए हैं और विश्लेषण रिपोर्ट की प्रतीक्षा है।
2 अप्रैल, 2018 को अदालत ने संदिग्ध छात्रों के माबोइल फोन की जांच करने में लापरवाही के लिए चंडीगढ़ स्थित सीबीआई की फॉरेंसिक प्रयोगशाला की खींचाई की।
11 मई, 2018 को जांच मिलने के एक साल बाद सीबीआई ने अदालत को बताया कि उसे किसी अपराध के साक्ष्य नहीं मिले हैं।
12 जुलाई, 2018 को सीबीआई ने अदालत ने कहा कि छात्र के लापता होने की घटना में मामला बंद करने की रिपोर्ट दायर करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
4 सितंबर, 2018 को सीबीआई की ओर से यह दलील दिए जाने के बाद कि उसने सभी पहलुओं से मामले की जांच कर ली है इसके बावजूद उसे अहमद का कोई सुराग नहीं मिला है, अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।
8 अक्टूबर, 2018 को जेएनयू से अहमद के लापता होने के करीब दो साल बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई को जांच बंद करने की रिपोर्ट दायर करने की अनुमति दी।