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3सी बिल्डर के मालिकों की गिरफ्तारी

एक जमाना था, जब तमाम आवंटन या तो निर्मल को या उसकी मर्जी से होते थे

नोएडा। नोएडा जब सन् 2000 के बाद तेजी से विकास की तरफ बढ़ रहा था तब एक दौर ऐसा भी था जब तमाम आवंटन चाहे वो औद्योगिक हो, संस्थागत हो, कॉमर्शियल हो या फिर आवासीय, या तो निर्मल सिंह को होते थे या जिसे वह चाहता था उसकी को होते थे। उसकी इस काबिलियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि न ही तो वह उद्यमी था, न ही शिक्षाविद् और न ही कोई बड़ा नाम। लेकिन जुगाड़ में उसे महारथ हासिल थी। इसीलिए वह हर सरकार का प्रिय होता चला गया और कम समय में फर्श से अर्श तक पहुंच गया। नोएडा में ज्यादातर प्राइम लोकेशन की बिल्डिंग निर्मल सिंह की हुआ करती थी। लेकिन बड़े प्रोजेक्ट की चाह ने उसे जेल पहुंचा दिया।

जिस वक्त नोएडा बस रहा था उस दौरान निर्मल सिंह अपना गांव छोड़कर दिल्ली आ गए और उन्होंने औद्योगिक भूखंड लेकर बिल्डिंग बनाकर बेचने की शुरुआत की। नोएडा उनकी कर्मभूमि बना। यहां उन्होंने बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयों के भूखंड लेकर आलीशान इमारतें बनाई और उसे आईटी कंपनी को बेचा। उन्होंने कई इमारतें बनाने के बाद किराए पर दिया। शुरुआत में हजारों रुपए के ही प्रोजेक्ट किया करते थे। बाद में लाखों पर बात आई और फिर करोड़ों के प्रोजेक्ट करने लगे। परिवार के कई सदस्यों को भी अपने बिजनेस में शामिल किया। 2008 के बाद नोएडा में रियल स्टेट बाजार में बूम आई। इस दौरान उन्होंने कईयों को पार्टनर बनाकर फ्लैट्स की योजना शुरू की।

एटीएस और पूर्वांचल के बाद 3सी कंपनी का नाम बाजार में काफी ऊंचाइयों तक पहुंचा। समय से फ्लैट देना और गुणवत्ता पूर्ण उनका निर्माण 3सी कंपनी की पहचान बन गई। इसके बाद एक्सप्रेस-वे पर सेक्टर-150 लेकर 3सी कंपनी ने लोटस कंपनी बनाकर स्पोर्ट्स सिटी डिवेलप करने की योजना बनाई। यह स्पोट्र्स सिटी फेल साबित हुई और अब निर्मल सिंह को दो पार्टनर के साथ जेल जाना पड़ा।

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