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जाति के भंवर में ‘हनुमानजी’

देश में आजकल अजीबो-गरीब राजनीति शुरू हो गई है। पहले सांप्रदायिकता और अब जात-पात में लोगों को फंसाया जा रहा है। इतना ही नहीं राजनेताओं ने भगवान को भी कास्ट सर्टिफिकेट देना शुरू कर दिया है। अब तक भाजपा के पास राम मंदिर का एक ऐसा मुद्दा था जिसे केवल चुनाव के वक्त ही बाहर निकाला जाता था और लोगों की भावनाओं को उत्तेजित करके वोट बटोरने के बाद मुद्दे को दबा दिया जाता था। लेकिन अब रामजी के नाम पर वोट मिलने बंद हो गए हैं इसलिए नया शगूफा निकाला गया। रामजी के भक्त हनुमानजी राजनीतिक निशाने पर हैं। सबसे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमानजी की जाति बताई थी। उन्होंने कहा था कि हनुमानजी दलित थे जिसके बाद दलितों ने हनुमानजी के मंदिर पर कब्जा करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि जब हनुमानजी हमारे हैं तो हम ही पूजा पाठ करेंगे। इसके बाद दूसरे नेताजी निकल कर आए और उन्होंने कहा कि हनुमानजी क्षत्रिय थे। जाति प्रमाण पत्र देने का सिलसिला यहीं नहीं थामा। सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए बुक्कल नवाब ने तो हद ही कर दी है। उन्होंने हनुमानजी को मुस्लिम होने का सर्टिफिकेट दे दिया है। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि राजनीति किस ओर जा रही है। राम मंदिर का मामला जनता के बीच उतना तूल नहीं पकड़ पा रहा है जितना पहले पकड़ा करता था। अब भगवानजी की जातियां बता कर ही नेता सुर्खियां बटोर रहे हैं। काश यह नेता रोजगार, विकास और अर्थव्यवस्था को बेहतर करने में इतना दिमाग लगाते जितना की कास्ट सर्टिफिकेट देने में लगा रहे हैं। यहां यह कहना सही है कि अराध्य बाबा बजरंग बली अपनी शक्ति की तरह अपनी जाति भी भूल गए हैं। शक्ति को जामवंत ने याद दिला दी थी। जाति याद दिलाने के लिए योगी, नवाब, नारायण, मंत्री-संत्री, ढोंगी सबके सब जोर-शोर से जुट गए हैें। वैसे तो यह सब हनुमान जी के जाति बताने की बजाए अपनी जाति बताने और उससे भी ऊपर अपनी जाति दिखाने में जुटे हुए हैं। इस बीच खबर यह भी है कि हनुमान जी ने राम की अराधना स्थगित कर दी है। अब हनुमानजी हवा का रुख देखकर तय करेंगे कि उन्हें राम के पक्ष में रहना है या रहीम के…।

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