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अब खाने में भी धर्म की अफीम घोलने की कोशिशें


नोएडा। सदियों पहले समाजशास्त्री कार्ल मार्क्स ने कहा था कि धर्म अफीम के समान हैं, जो आज के दौर में चरितार्थ होती नजर आ रही है। देश में आजकल लोग विकास रोजगार शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी मामलों पर बात करने ेके बजाए हिंदू और मुस्लिम में ही अटके हुए हैं।
जिस तरह से जोमैटो कंपनी ऑनलाइन खाना मंगवाने पर एक शख्स को जब पता चला कि लाने वाला मुस्लिम युवक है, तो उसने कहा कि मुझे दूसरे डिलीवरी ब्वॉय से खाना भिजवाओ इस मामले में जमेटो कंपनी के सीईओ ने तत्काल जवाब दिया और कहा कि हमें ऐसे ग्राहकों की जरूरत नहीं है बिजनेस से पहले सामाजिक सौहार्द जरूरी है। जिस तरह से लोगों की ऐसी मानसिकता निकल कर सामने आ रही है। उससे प्रतीत हो रहा है कि कहीं ना कहीं कुछ लोग पूरी तरह कट्टरवाद में फंस चुके हैं। अब तो हद हो गई है खाने में भी धर्म का जहर लोग घोलने लगे हैं। ऐसे मामलों में सरकार से ज्यादा सामाजिक लोगों को अपनी भूमिका निभानी चाहिए ताकि कई ैसैकड़ों साल से चली आ रही एकता मजबूत रहे। यह भी माना जा रहा है कि इस तरह की हरकत करने वाले लोग सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए ऐसे कदम उठाते हैं। इससे पहले उबर कंपनी में कैब चालक के मुस्लिम होने पर कैब कैंसिल कर हिंदू चालक की डिमांड की गई थी।

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